इंसान करता जा रहा गलती पर गलती-
प्लम्प्रे का कहना है कि जैव विविधता वाले जो क्षेत्र प्रभावित नहीं हुए हैं उनमें से अधिकतर उत्तरी गोलार्ध में हैं। यहां मानव उपस्थिति कम रही है लेकिन अन्य क्षेत्रों के मुकाबले ये जैव विविधता से समृद्ध नहीं थे। बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण, शहरीकरण, शिकार, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन, पेड़ों की कटाई मानव द्वारा किए गए वह काम हैं जिनसे धरती में बदलाव हो रहा है। केवल रहने योग्य जमीन का 20 से 40 फीसदी हिस्सा ही सड़कों, शहरों और जनसंख्या बढ़ोतरी के प्रभाव से अछूता है।
यों हो सकता है सुधार-
वैज्ञानिकों का मानना है कि पारिस्थितिक रूप से समृद्ध क्षेत्र में 20 फीसदी की वृद्धि की जा सकती है। इसके लिए मानव प्रभाव से अछूते क्षेत्रों में कुछ प्रजातियों की बसावट बढ़ानी होगी। इससे पारिस्थितिक तंत्र को लाभ होगा।