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खराब हो रही है धरती की सेहत, 97 फीसदी पारिस्थितिक तंत्र खराब

locationनई दिल्लीPublished: Apr 17, 2021 09:14:10 pm

जनजातीय लोगों की भूमिका से बची 3 फीसदी पारिस्थितिक सेहत ।

खराब हो रही है धरती की सेहत, 97 फीसदी पारिस्थितिक तंत्र खराब

खराब हो रही है धरती की सेहत, 97 फीसदी पारिस्थितिक तंत्र खराब

लंदन। मानव हस्तक्षेप और लालच के कारण धरती कुछ वर्षों में रहने लायक नहीं रहेगी। जी हां, एक सर्वे के अनुसार 97 फीसदी धरती की पारिस्थितिकी सेहत बेहद खराब हो चुकी है। शेष तीन फीसदी हिस्सा ही मनुष्य हस्तक्षेप से दूर रहने के कारण और वहां के स्थानीय जनजातीय लोगों की भूमिका से पारिस्थितिक रूप सुरक्षित रह गया है। फ्रंटियर्स इन फोरेस्ट एंड ग्लोबल चेंज जर्नल में प्रकाशित शोध में यह खुलासा हुआ। शोध के प्रमुख लेखक कैंब्रिज निवासी डॉ. एंड्रयू प्लम्प्रे ने बताया कि धरती पर जो रहने लायक जगह बची है वह भी हम तेजी से खो रहे हैं। इससे जैव विविधता और इंसानों दोनों को खतरा है। अध्ययन से यह भी सामने आया कि अधिकतर प्रजातियां मानव शिकार के कारण लुप्त हुई है। दूसरे जानवरों का हमला और बीमारी अन्य कारण है।

इंसान करता जा रहा गलती पर गलती-
प्लम्प्रे का कहना है कि जैव विविधता वाले जो क्षेत्र प्रभावित नहीं हुए हैं उनमें से अधिकतर उत्तरी गोलार्ध में हैं। यहां मानव उपस्थिति कम रही है लेकिन अन्य क्षेत्रों के मुकाबले ये जैव विविधता से समृद्ध नहीं थे। बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण, शहरीकरण, शिकार, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन, पेड़ों की कटाई मानव द्वारा किए गए वह काम हैं जिनसे धरती में बदलाव हो रहा है। केवल रहने योग्य जमीन का 20 से 40 फीसदी हिस्सा ही सड़कों, शहरों और जनसंख्या बढ़ोतरी के प्रभाव से अछूता है।

यों हो सकता है सुधार-
वैज्ञानिकों का मानना है कि पारिस्थितिक रूप से समृद्ध क्षेत्र में 20 फीसदी की वृद्धि की जा सकती है। इसके लिए मानव प्रभाव से अछूते क्षेत्रों में कुछ प्रजातियों की बसावट बढ़ानी होगी। इससे पारिस्थितिक तंत्र को लाभ होगा।

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