संयुक्त राष्ट्र महासभा ( United Nations General Assembly ) ने कोरोना के प्रतिबंधों के कारण अब नई मतदान व्यवस्था के तहत अगले महीने यानी कि जून में सुरक्षा परिषद के पांच गैर-स्थायी सदस्यों ( Five non-permanent members of the Security Council ) का चुनाव कराने का फैसला लिया है। शुक्रवार को इस संबंध में 193-सदस्यीय महासभा ने ‘कोरोना वायरस रोग ( COVID-19 ) महामारी’ के दौरान प्लेनरी (परिपूर्ण) बैठक के बिना ही गुप्त मतदान द्वारा चुनाव कराने की प्रक्रिया शीर्षक से निर्णय लिया। इधर भारत ने एशिया प्रशांत सीट के लिए एकमात्र दावेदार होने का आश्वासन दिया है और माना जा रहा है कि भारत के लिए यह सीट पक्की है।
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इस निर्णय के मुताबिक, सुरक्षा परिषद में गैर-स्थायी सदस्यों के चुनाव और आर्थिक व सामाजिक परिषद के सदस्यों के चुनाव जून 2020 में एक साथ परिपूर्ण बैठक के बिना आयोजित किए जाएंगे। बता दें कि 2021-22 के कार्यकाल के लिए 15-राष्ट्र परिषद के पांच गैर-स्थायी सदस्यों का चुनाव 17 जून को निर्धारित किया गया था।
भारत के लिए जीत पक्की!
भारत एक गैर-स्थायी सीट के लिए उम्मीदवार है और माना जा रहा है कि भारत की जीत इस सीट पर पक्की है, क्योंकि भारत अभी तक एशिया प्रशांत समूह की इकलौती सीट के लिए एकमात्र उम्मीदवार है। बीते साल जून में चीन और पाकिस्तान सहित एशिया-प्रशांत समूह के 55 सदस्यों ने भारत की उम्मीदवारी को सर्वसम्मति से समर्थन दिया था।
मतदान की नई व्यवस्था के तहत, महासभा के अध्यक्ष तिजानी मुहम्मद-बंदे गुप्त मतदान के पहले दौर से कम से कम 10 दिन पहले सभी सदस्य देशों को एक पत्र भेजेंगे और सूचित किया जाएगा कि किस तारीक को मतदान होगा। साथ ही यह बताया जाएगा कि चुनाव के दिन मतदाता को अपने मतपत्रों को डालने के लिए एक विशिष्ट समय स्लॉट के दौरान निर्दिष्ट स्थान पर जाने की आवश्यकता होगी।
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निर्दिष्ट स्थानों पर मतपेटियों में केवल मतपत्र स्वीकार किए जाएंगे और अंतिम समय स्लॉट समाप्त होने के बाद कोई मतपत्र स्वीकार नहीं किया जाएगा। महासभा अध्यक्ष सभी सदस्यों को पत्र लिखकर सूचित करेंगे कि मतदान पूरा होने और मतपत्रों की गिनती पूरी होने के बाद उन्हें परिणाम की सूचना दी जाएगी।
बता दें कि कनाडा, आयरलैंड और नॉर्वे के बीच पश्चिमी यूरोप और अन्य देशों की श्रेणी में दो सीटों के लिए टक्कर है, जबकि मेक्सिको एक लैटिन अमरीका और कैरेबियन सीट के लिए एकमात्र उम्मीदवार हैं। वहीं केन्या और जिबूती अफ्रीकी समूह के लिए भी उपलब्ध सीट पर चुनाव लड़ेगी।
गौरतलब है कि भारत इससे पहले 1950-1951, 1967-1968, 1972-1973, 1977-1978, 1984-1985, 1991-1992 और हाल ही में 2011-2012 में परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में चुना गया था।