बिना सहमती के सार्वजनिक हुआ डेटा
बता दें कि एंटेनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक से इस उद्योग के सामने आ रही चुनौतियों के बारे में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका के बारे में पूछा गया था, जिसके तहत करीब पांच करोड़ फेसबुक उपभोक्ताओं की प्रोफाइल को उनकी सहमति के बिना सार्वजनिक कर दिया गया था। उन्होंने कहा, “यह एक बहस है, जिसमें सभी खिलाड़ियों को एक साथ लाने की जरूरत है।”
दुजारिक के अनुसार, “यह विषय सरकारों से परे है। प्रौद्योगिकी कंपनियों, सिविल सोसाइटी, उपयोगकर्ताओं सभी को एक साथ आना होगा और हमें उम्मीद है कि किसी बिंदु पर उन्हें संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में एकत्र होना होगा।”
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कैंब्रिज एनालिटिका पर लगा है आरोप
आपको बता दें कि कैंब्रिज एनालिटिका पर फेसबुक के 5 करोड़ सदस्यों से जुड़ी जानकारियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगा है। इसके बाद कंपनी ने अपने चीफ एक्जीक्यूटिव अलेक्जेंडर निक्स को सस्पेंड कर दिया है। कैंब्रिज एनालिटिका वही कंपनी है जिसने 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव के दौरान डोनाल्ड ट्रंप की कैंपेनिंग की थी।
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क्या है पूरा मामला
दरअसल अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में ‘कैम्ब्रिज एनालिटिका’ नाम की एक फर्म ने की मदद की थी। अब इसी फर्म पर लगभग 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स के निजी जानकारी चुराने के आरोप लगें हैं। आरोप है कि फेसबुक यूजर्स के इस जानकारी का इस्तेमाल अमरिकी राष्ट्रपति चुनाव में किया गया हैं। हालांकि जैसे ही ये मामल सामने आया अमरिकी आैर यूरोपीय सांसदों ने फेसबुक इंक से इस बाबत जवाब मांगा हैं। वे ये बात जानना चाहते हैं कि इस फर्म ने आखिर कैसे फेसबुक यूजर्स के निजी जानकारी को चुराया और कैसे इसका डोनाल्ड ट्रम्प को अमरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीताने में मदद किया। इसके जबाब में फेसबुक ने एक बयान में कहा है कि एक कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी मनोविज्ञान के प्रोफेसर ने कंपनी के लिए झूठ बोला था और उसने अपने ऐप से विकसित होने वाले ऐप से कैंब्रिज एनालिटिका को डाटा पास कर अपनी नीतियों का उल्लंघन किया था। इसने फर्म को फेसबुक से निलंबित कर दिया।