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फेसबुक के पहले प्रेसीडेंट ने कहा-, बच्चों को साइको बना कर दिमाग पर कब्जा कर रहा Facebook

locationनई दिल्लीPublished: Nov 09, 2017 11:11:04 pm

Submitted by:

dinesh mishra1

फेसबुक के पहले प्रेसीडेंट सीन पार्कर ने कहा है कि फेसबुक लोगों के दिमाग पर कब्जा कर लेता है और उसका अपने हिसाब से शोषण करता है।

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वॉशिंगटन। फेसबुक के पहले प्रेसीडेंट सीन पार्कर ने कहा है कि फेसबुक लोगों के दिमाग पर कब्जा कर लेता है और उसका अपने हिसाब से शोषण करता है। उन्होंने कहा कि सिर्फ भगवान ही जानता है कि यह हमारे बच्चों के दिमाग से कैसे खेल रहा है? यह उन्हें एक तरह से साइको बना रहा है। पार्कर बोले, यह लोगों के वक्त और उनके दिमाग का बेहिसाब शोषण करता है। पार्कर इस वक्त पार्कर इंस्टीट्यूट फॉर कैंसर इम्यूनोलॉजी के चेयरमैन हैं। पार्कर ने कहा कि फेसबुक समेत सोशल मीडिया के जो भी रूप हैं, उनकी आपको धीरे-धीरे इसकी लत पड़ती जाती है और आपको इसका पता भी नहीं चलता है। दरअसल, आप जब कोई फोटो या पोस्ट डालते हैं तो इस पर लाइक या कमेंट मिलते हैं, जिसका आपकों इंतजार रहता है। यह आपको और ज्यादा फोटो या पोस्ट डालने को प्रेरित करता है ताकि आपको ज्यादा से ज्यादा लाइक या कमेंट मिले। इससे यह धीरे-धीरे आपका दिमाग हैक हो जाता है।

जुकरबर्ग भी जानते हैं इस लत को
पार्कर ने बताया कि फेसबुक के सह संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और दूसरे लोग भी दिमाग सोशल मीडिया की इस प्रक्रिया के बारे में शुरू से ही जानते थे। हम सभी जानते थे कि यह एक तरह से दिमाग को लती बना देता है।

सामाजिक रिश्तों पर भी पड़ता है असर
पार्कर ने बताया कि फेसबुक का हमारे दिमाग पर पडऩे वाले असर का बेहद व्यापक है। यह एक तरह का नेटवर्क बना देता है, जो एक अरब या दो अरब लोगों या उससे ज्यादा लोगों को अपने प्रभाव में ले लेता है। वास्तव में यह आपका समाज से या फिर एक-दूसरे से रिश्ते को बदल देता है। यह आपकी क्षमता पर भी असर डालता है।

भविष्य कैसा होगा, नहीं जानते
पार्कर ने कहा कि शुरुआत में फेसबुक जिस रूप में था, वैसा अब नहीं है। यह बेहद तेजी से बदल रहा है। यह कल्पना के भी परे है कि इसका भविष्य क्या होगा।

ब्लू व्हेल और फेक न्यूज इसके उदाहरण
पार्कर ने कहा कि इसका सबसे खतरनाक उदाहरण ब्लू व्हेल गेम चैलेंज है, जिसकी वजह से कई बच्चों की जान गई। जिसे खेलने वाले बच्चों के दिमाग पर यह गहरा असर डालता है। इसी तरह से अमरीका का फेक न्यूज भी उदाहरण है, जो कमोबेश पूरे साल ट्रेंड में रहा। पार्कर ने बताया कि इसकी शुरुआत परिवार, दोस्तों और बिछड़े हुए लोगों को जोडऩे-मिलाने के लिए हुई थी, मगर धीरे-धीरे यह ड्रग्स जैसा हो गया।
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