15 अक्टूबर 2008 को अरेस्ट किया गया इतने साल बाद बरी किए जाने के फैसले से न्याय व्यवस्था की धीमी चाल पर चिंता जरूर होती है, जिसके कारण कई बार कई निर्दोषों और विचाराधीन कैदियों को सालों जेल में गुजारने पड़ जाते हैं। इस मामले में अभियोजन पक्ष ने कहा कि ऐनाबेले को 15 अक्टूबर 2008 को गिरफ्तार किया गया था। ऐनाबेले को स्पाइसजेट के चेक-इन काउंटर पर डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू ने हेरोइन के साथ गिरफ्तार किया था। आरोप था कि उनके ट्रॉली बैग से 1.24 किलोग्राम हेरोइन मिली थी। ऐनाबेले का लंबा ट्रायल चला और साल 2014 में उन्हें दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा सुनाई गई। ट्रायल चलने तक महिला पहले ही 5 साल 5 महीने की सजा काट चुकी थीं।
चार साल से ज्यादा का वक्त लगा जस्टिस सी हरि शंकर ने इसी आधार पर दोषी करार दिए जाने के फैसले को पलट दिया और ऐनाबेले को बरी कर दिया। जस्टिस हरि शंकर ने कहा कि जांच हमेशा निष्पक्ष तरीके से होनी चाहिए। कोर्ट ने इस बात पर सहमति जताई कि केस रजिस्टर करने वाला और आरोप लगाने वाली पुलिस अधिकारी खुद केस का जांच अधिकारी नहीं हो सकता। अगर ऐसा होता है तो केस की जांच निष्पक्षता पर गंभर सवाल उठने स्वाभाविक हो जाते हैं।