‘सेंटर फॉर स्ट्रैटिजिक ऐंड इंटरनेशल स्टडीज’ में विदेश नीति पर उनके भाषण के बाद पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने यह जवाब दिया। उन्होंने कहा कि वहां इस संबंध में प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। बीते 70 साल में वहां निहित स्वार्थ पैदा हुए हैं। ये स्थानीय एवं सीमा पार के निहित स्वार्थ हैं।
उन्होंने यह स्वीकार किया कि जब भी किसी चीज पर ठोस तरीके से बदला जाता है तो परिवर्तन संबंधी खतरे रहते हैं। इस पर और प्रतिक्रियाएं देखने को मिलेंगी। उन्होंने कहा कि अब जम्मू-कश्मीर का विकास सारी स्थिति को पलट कर रख देगा। उन्होंने कहा कि अगर हम जम्मू-कश्मीर में विकास को तेज करेंगे,तो समझिए कि पाकिस्तानियों ने जो बीते 70 वर्षों में योजनाएं तैयार की हैं वह सब धरी की धरी रह जाएगी।
विदेश मंत्री का यह बयान जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक मिलता हुआ है। उन्होंने कहा था कि अगर वह जम्मू-कश्मीर को विकास के मार्ग पर ले जाने में कामयाब होते हैं, तो बहुत संभव है कि वह दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के निवासी जिन्हें पाकिस्तान के दखल का सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ रहा है, वे खुद ही भारत का हिस्सा बनने के लिए हमारी तरफ दौड़े आएंगे।