गौरतलब है कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने नरेंद्र मोदी को भी इसमें शामिल होने का न्योता दिया है। मोदी ब्रिटेन नहीं जा रहे हैं, वे 12 और 13 जून को वर्चुअली इसमें शामिल होने वाले हैं। दो साल में यह पहला मौका है,जब दुनिया की सात बड़ी आर्थिक शक्तियों के नेता एक साथ-एक मंच पर नजर आने वाले हैं। चीन और रूस अलग-अलग वजहों से G7 का हिस्सा नहीं हैं।
रूस और चीन क्यों नहीं
रूस 1998 में इसका हिस्सा बना था और तब G7 को G8 कहा जाने लगा था। 2014 में जब उसने क्रीमिया पर कब्जा किया तो उसकी सदस्यता रद्द कर दिया गया। वहीं चीन दुनिया की सबसे बड़ी आबादी और दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी होने के बावजूद इस बैठक में शामिल नहीं हुआ है। इसके कई कारण बताए जा रहे हैं। लोकतंत्र का न होना और सरकार के नियंत्रण में मीडिया का होना इसका कारण बताया जा रहा है।
इस बार किन मुद्दों पर फोकस
G7 में शामिल देशों के मंत्री और अधिकारी पूरे साल बैठक करते रहते हैं। G7 में सदस्य देशों के आला अधिकारी और मंत्री कोविड रिकवरी,ग्लोबल हेल्थ सिस्टम, क्लाइमेट चेंज और ट्रेड भी अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
चीन के हरकतों पर हो सकती है चर्चा
G7 बैठक में शामिल होने वाले देशों में परमानेंट मेंबर्स के अलावा भारत और ऑस्ट्रेलिया को भी न्योता मिला है। अमरीका और जापान स्थाई सदस्य हैं ही। इस दौरान चीन बैठक में शामिल नहीं हो रहा है। ऐसे में चीन की हरकतों पर भी चर्चा हो सकती है। इनमें कोविड-19 ओरिजन और लैब लीक शामिल हैं।