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मंगल ग्रह पर चली भीषण धूल भरी आंधी, नासा का अपरच्यूनिटी रोवर हुआ शटडाउन

locationनई दिल्लीPublished: Jun 14, 2018 04:09:51 pm

Submitted by:

Anil Kumar

मंगल ग्रह पर भीषण धूर भरी आंधी के कारण अमरीकी स्पेस एजेंसी नासा का अपरच्यूनिटी रोवर ठप पड़ गया है।

नासा का अपरच्यूनिटी रोवर

मंगल ग्रह पर चली भीषण धूल भरी आंधी, नासा का अपरच्यूनिटी रोवर हुआ शटडाउन

नई दिल्ली। पश्चिमी हवाओं के कारण दिल्ली-एनसीआर की हवा बीते तीन दिनों से जहरीली हो गई है और लोगों का जीना दुभर हो गया है। लेकिन पृथ्वी से करोड़ों किलोमीटर दूर मंगल ग्रह में भी इन दिनों आंधी-तूफान ने कहर मचा रखा है। हालांकि मंगल ग्रह में कोई जीवन नहीं है फिर भी इस भयंकर धूल भरी आंधी का हमारे उपर अप्रत्यक्ष रूप से असर पड़ा है। मंगल ग्रह पर भीषण धूर भरी आंधी के कारण अमरीकी स्पेस एजेंसी नासा का अपरच्यूनिटी रोवर ठप पड़ गया है। अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी का कहना हैकि इस वजह से सौर ऊर्जा से चलने वाला मानवरहित यान शटलडाउन मोड में चला गया है। इसके साथ ही रोवर का पूरा सिस्टम ऑफलाइन हो गया है जिसके कारण इसके अस्तित्व को लेकर अब चिंताएं बढ़ गई हैं।

धूल भरी आंधी से बिछी धूल के गुबार की परतें

आपको बता दें कि नासा ने इस संबंध में बताया है कि मंगल ग्रह में अचानक धूल भरी तेज आंधी चलने से सूरज की किरणों का रास्ता अवरूद्ध हो गया है। नासा के मुताबिक करीब 1.4 करोड़ वर्ग मील में फैले इस इलाके में धूल के गुबार की परतें सी बिछ गई है। बता दें कि नासा की जेट प्रपल्शन लैबरेटरी में अपरच्यूनिटी के प्रॉजेक्ट मैनेजर जॉन कालास के मुताबिक अपरच्यूनिटी को मंगल ग्रह पर परसीवरेंस वैली नाम की जगह पर देखा गया है। उन्होंने बताया है कि नासा की अपरच्यूनिटी रोवर शटडाउन में चला गया है और अब हमें आंधी खत्म होने का इंतजार है।

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2003 में नासा ने मंगल पर भेजे थे दो रोबोटिक यान

आपको बता दें कि जॉन कालास ने बताया कि हम सभी को उम्मीद है कि बहुत जल्द ही आंधी खत्म हो जाएगी और अपरच्यूनिटी रोवर फिर से हमसे संपर्क करने में सक्षम होगा। उन्होंने बताया कि सबसे पहले 30 मई को आंधी का पता चला था लेकिन अब यह आंधी बहुत ही भीषण हो गई है। उन्होंने बताया कि रोबोटिक यान से आखिरी बार 10 जून को संपर्क हुआ था। आपको बता दें कि मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश में नासा ने अपरच्यूनिटी रॉवर और स्पिरिट नामक दो रोबोटिक यान को 2003 में प्रक्षेपित किया था। करीब एक वर्ष के सफर के बाद ये दोनों यान मंगल की धरती पर पहुंचे थे। इसके बाद से ये दोनों यान अपने मिशन में लागातर काम करते हुए कई ऐतिहासिक और दुर्लभ जानकारियां शेयर की। इससे वैज्ञानिकों में यह उम्मीद जगी है कि आने वाले समय में मंगल में भी जीवन संभव हो सकता है।

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