फेसबुक ने अनुमति देने से मना कर दिया मामले के तहत के जर्मन माता-पिता अपनी बेटी की मौत के बाद उसके फेसबुक अकाउंट को लॉग इन करने की अनुमति मांग रहे थे। लेकिन फेसबुक ने अनुमति देने से मना कर दिया। ऐसे में माता-पिता ने कोर्ट का सहारा लिया। अभिभावकों के अनुसार उनकी बेटी की 2012 में संदेहास्पद स्थिति में मौत हो गई थी। वे फेसबुक अकाउंट के जरिए इस मौत से जुड़े कुछ सबूतों को खोज रहीं थीं, लेकिन फेसबुक ने अपनी पॉलिसी का हवाला देते हुए अकाउंट को लॉग इन करने की इजाजत नहीं दी।
मरने वालों के लिए मेमोराइज अकाउंट अभी तक फेसबुक मरने वाले यक्ति के खाते को सहमति से मिटा सकता है या इसे मेमोराइज अकाउंट बना सकता है। इस अकाउंट पर मरने वाले के दोस्त और उसके परिवार वाले उसे श्रद्दांजलि दे सकते हैं। इसकी मदद अभिभावक और दोस्त उसे याद करने के लिए पुरानी फोटो का सहारा ले सकते हैं। इस तरह से मरने वाले का अकाउंट पूरी से तरह सुरक्षित रहता है। जिसे समय समय पर सम्मान देने लिए शेयर किया जा सकता है।
संपत्ति पर माता-पिता का हक जर्मन कोर्ट के सामने ये सवाल था कि डिजिटल खातों को भी अनुरूप संपत्ति के दायरे में रखा जाए या नहीं। हालांकि इससे पहले 2015 में बर्लिन की एक अदालत ने माता-पिता के हक में फैसला सुनाया था,जिसे फेसबुक ने उच्च अदालत में चुनौती दी थी। स्थानीय अदालत ने फैसला सुनाते कहा कि डिजिटल संपत्तियों के साथ समान रुख नहीं अपनाया जाए तो यह विरोधाभास पैदा होगा कि चिट्ठी-पत्र,डायरी,सामग्री के लिहाज से स्वतंत्र है,लेकिन ईमेल और फेसबुक नहीं। अदालत ने कहा था कि बेटी की निजी संपत्ति पर माता-पिता की पहुंच से निजी अधिकार का उल्लघंन नहीं होता।