script

मौत के बाद फेसबुक अकाउंट के अधिकार पर कोर्ट का बड़ा फैसला, जानिए क्या दिया आदेश

locationनई दिल्लीPublished: Jul 13, 2018 11:40:55 am

मरने के बाद कौन होगा फेसबुक अकाउंट का अधिकारी, अदालत ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

facebook

मौत के बाद फेसबुक अकाउंट के अधिकार पर कोर्ट का बड़ा फैसला, जानिए क्या दिया आदेश

नई दिल्ली। दोस्तों और जानने वालों के बातचीत के लिए बनाए गए सोशल प्लेटफॉर्म फेसबुक को लेकर जर्मनी की एक अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। जी हां सोचिए अपनों से संबंधों को फेसबुक ने एक नया आयाम दिया है, लेकिन जब एक फेसबुक यूजर की मौत हो जाए तो उसके अकाउंट के साथ क्या होना चाहिए, इसी को लेकर अदालत का बड़ा फैसला सामने आया है। अदालत ने अपने निर्णय में फेसबुक कंपनी को निर्देश दिया है। दरअसल जर्मनी में एक नाबालिग फेसबुक यूजर की मौत हो गई। इसके बाद अदालत ने फेसबुक को उसके अकाउंट को लॉग इन करने का अधिकार उसकी मां को सौंपने का आदेश दिया। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला।
राज्यसभा की दौड़ में कपिल देव और माधुरी दीक्षित आगे, सितारों के सहारे 2019 पर भाजपा की नजर
जर्मन माता-पिता अपनी बेटी की मौत के बाद उसके फेसबुक अकाउंट को लॉग इन करने की लंबे समय से अनुमति मांग रहे थे, लेकिन फेसबुक ने अनुमति देने से मना कर दिया। ऐसे में माता-पिता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। माता-पिता का कहना था कि उनकी बेटी की 2012 में रहस्यमय हालातों में मौत हो गई थी। वे फेसबुक अकाउंट के जरिए इस मौत से जुड़े कुछ सवालों के जवाब ढूंढना चाह रहे हैं, लेकिन फेसबुक ने अपनी प्राइवेसी पॉलिसी का हवाला देकर अकाउंट का लॉग इन करने की इनकार कर दिया।

कोर्ट के बाहर समझौता का मौका
अपनी मृत बेटी के फेसबुक अकाउंट का अधिकार मांग रहे माता-पिता और फेसबुक कंपनी को बर्लिन की कोर्ट ने बाहर रहकर समझौता करने का भी मौका दिया, लेकिन इस पर भी बात बन नहीं पाई। आपको बता दें कि लड़की मौत 5 साल पहले बर्लिन के एक सब-वे स्‍टेशन पर ट्रेन के सामने आ जाने से हुई थी। लेकिन अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि ये कोई दुर्घटना थी या खुदकशी। बर्लिन की एक स्‍थानीय अदालत ने साल 2015 में माता-पिता के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसे फेसबुक ने उच्‍च अदालत में चुनौती दी थी।
Video: महबूबा मुफ्ती की खरी-खरी, दिल्ली ने जम्मू पर डाले डोरे तो 1990 जैसे होंगे हालात
अदालत ने दिया ये तर्क
अदालत ने जब इस बारे में फैसला सुनाया तो उन्होंने साफ तौर पर तर्क दिया कि एनालॉग और डिजिटल संपत्तियों के साथ अलग-अलग फैसला नहीं हो सकता है। जबकि मौत के बाद डायरी, चिट्टी-पत्र जैसी चीजों पर घर वालों का ही अधिकार होता है तो डिजिटल सामग्री पर भी उनका समान अधिकार होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि बेटी की निजी संपत्ति पर माता-पिता की पहुंच से उसके निजी अधिकार का उल्लंघन नहीं होता। अभिभावकों को ये जानने का पूरा हर है कि नाबालिग बच्चे ऑनलाइन क्या कर रहे हैं।

ट्रेंडिंग वीडियो