दरअसल, अमरीकी संसद ( American parliament ) में एक प्रस्ताव पेश किया गया है। इस प्रस्ताव में ये कहा गया है कि अफगानिस्तान के सिखों और हिन्दुओं ( Religious Persecution In Afghanistan ) को अमरीका में शरण दी जाए। संसद में पेश प्रस्वात में इस बात को रेखांकित किया गया है कि अफगानिस्तान में सिख और हिन्दू ‘संकटग्रस्त अल्पसंख्यक’ हैं। लिहाजा, इस प्रस्ताव में ये मांग की गई है कि अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर सताए गए समुदाय के लोगों को अमरीका में फिर से बसाया जाए।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सांसद जैकी स्पीयर ( MP Jackie Spear ) और अन्य सात सह प्रायोजक सदस्यों ने अमरीकी संसद के निचले सदन में यह प्रस्ताव पेश किया है। सभी ने कहा कि यह प्रस्ताव अफगानिस्तान के हिंदुओं और सिखों को शरणार्थी संरक्षण का समर्थन करता है। यह संस्थागत धार्मिक उत्पीड़न, भेदभाव और अस्तित्व के खतरे को दर्शाता है।
इस प्रस्ताव में ये भी कहा गया है कि अमरीकी आव्रजन और राष्ट्रीय अधिनियम के शरणार्थी कार्यक्रम के तहत अफगानिस्तान के हिंदुओं और सिखों ( Hindus And Sikhs In Afghanistan ) को अमरीका में शरण दिया जाना का समर्थन करते हैं। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि हिंदू-सिख अफगानिस्तान के मूल निवासी तो हैं लेकिन संकटग्रस्त अल्पसंख्यक भी हैं और इनकी आबादी युद्धग्रस्त देश में बहुत तेजी से कम हो रही है। इसलिए इन्हें शरण मिलना चाहिए।
लगातार अल्पसंख्यकों पर बढ़ रहे हैं हमले
अफगानिस्तान में रह रहे हिन्दू और सिख समुदाय समेत अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की गई है। प्रस्ताव में लगातार हो रहे आतंकी हमलों ( Terror Attack ), धार्मिक उत्पीड़न और युद्ध-ग्रस्त देश में इन समुदायों के सदस्यों के साथ भेदभाव की निंदा की गई है। प्रस्ताव में काबुल में 25 मार्च को गुरुद्वारे पर हमला और 2018 में हिंदुओं पर आतंकी हमलों का जिक्र भी किया गया है।
प्रस्ताव के मुताबिक, अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता ( International religious freedom ) पर राज्य और अमरीकी आयोग ने अफगानिस्तान में सिखों और हिंदुओं के खिलाफ प्रणालीगत भेदभाव का दस्तावेजीकरण किया है। प्रस्ताव में ये कहा गया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( President Donald Trump ) ने वित्तीय वर्ष 2020 के लिए केवल 18,000 शरणार्थियों के लिए पुनर्वास का प्रस्ताव रखा है, जबकि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने कार्यकाल में वित्त वर्ष 2016 में यह आंकड़ा 110,000 रखा था।