इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 70 साल बाद यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि इस रकम पर केवल भारत का हक है।
हैदराबाद के म्यूजियम से निजाम का सोने का कप और टिफिन चोरी, अंतरराष्ट्रीय कीमत करीब 50 करोड़
बता दें कि देश के विभाजन के समय हैदराबाद के 7वें निजाम मीर उस्मान अली खान ने लंदन स्थित नेटवेस्ट बैंक में 1,007,940 पाउंड (करीब 8 करोड़ 87 लाख रुपये) जमा कराए थे। अब यह रकम बढ़कर करीब 35 मिलियन पाउंड (करीब 3 अरब 8 करोड़ 40 लाख रुपये) हो चुकी है।
उस वक्त हैदराबाद के तत्कालीन निजाम ने 1948 में ब्रिटेन में पाकिस्तान के उच्चायुक्त को ये रकम भेजी थी। इस मुकदमे में निजाम के वंशज प्रिंस मुकर्रम जाह और उनके छोटे भाई मुफ्फखम जाह भारत सरकार के साथ थे।
खजाने में क्या-क्या है खास
आपको बता दें कि हैदराबाद के निजाम अपने शाही खजाने के लिए जाने जाते थे। आखिरी निजाम का खजाना RBI के एक वॉल्ट में बंद है। अब तक केवल दो बार ही इस खजाने को देखने के लिए प्रदर्शनी लगाई गई है। पहली बार 2001 और दूसरी बार 2006 में।
निजाम के खजाने में 173 दुर्लभ आभूषण शामिल हैं, जिनमें से कुछ 184 कैरेट के बिना कटे जैकब डायमंड हैं। इनमें से कुछ दुनिया के 5 सबसे बड़े हीरे से निकले हैं।
निजाम के खजाने का सबसे कीमती गहना जैकब डायमंड माना जाता है। बताया जाता है कि छठवें निजाम महबूब अली खान ने शिमला के एक हीरा व्यापारी से इसे खरीदा था। उस दौर में इसकी कीमत 23 लाख थी। अब के समय में इसकी कीमत 400 करोड़ रुपए के आसपास बताई जाती है।
निजाम के सोने के टिफिन में रोज खाना खाते थे चोर, गिरफ्तारी से पहले फाइव स्टार होटल में कर रहे थे ऐश
यह भी कहा जाता है कि निजाम पेपरवेट के रूप में एक बेशकीमती हीरे का इस्तेमाल करते थे। जब निजाम की मौत हुई तो उनके बेटे उस्मान अली खान को निजाम के जूतों में करोड़ों की कीमत वाले हीरे मिले थे।
करीब 50 साल पहले 1970 में निजाम के खजाने की कीमत करीब 10 हजार करोड़ आंकी गई थी, जिसे 1995 मे भारत सरकार ने 218 करोड़ रुपए में खरीद लिया। मौजूदा समय में इसकी कीमत 50 हजार करोड़ से भी अधिक बताई जाती है।
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