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शनि ग्रह के चारों ओर मंडरा रहे 82 चांद, बृहस्पति के पास 79 चांद मौजूद हैं

locationनई दिल्लीPublished: Oct 09, 2019 06:14:42 pm

Submitted by:

Mohit Saxena

वैज्ञानिकों का अंदाजा है कि शनि के चारों ओर सौ से ज्यादा चांद मंडरा रहे हैं
17 शनि ग्रह के घूमने की दिशा से उलटी दिशा में चक्कर लगा रहे

saturn
वाशिंगटन। चंद्रयान-2 चांद के रहस्यों के खुलासे के लिए भेजा गया है। वह चांद के ऐसे हिस्सों को समझने की कोशिश कर रहा है जहां आज तक किसी देश ने पहुंचने की हिम्मत नहीं की। पृथ्वी पर जहां एक चांद को लेकर खोजे की जा रही हैं। वहीं हमारे सौर मंडल में शनि ग्रह से वैज्ञानिकों ने 20 नए चंद्रमाओं की खोज की है। इसे मिलकर उसके पास 82 चांद हो गए हैं। इसके पहले सबसे ज्यादा चांद होने का ताज बृहस्पति ग्रह के पास था। उसके चारों तरफ 79 चांद चक्कर लगा रहे हैं। हालांकि अब वैज्ञानिकों का अंदाजा है कि शनि के चारों ओर सौ से ज्यादा चांद मंडरा रहे हैं।
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अंतरिक्ष विज्ञानियों का दावा है कि शनि ग्रह के चारों तरफ खोजे गए नए 20 चंद्रमाओं में से 17 शनि ग्रह के घूमने की दिशा से उलटी दिशा में चक्कर लगा रहे हैं। वहीं, तीन शनि की ग्रह की दिशा में उसके साथ चक्कर लगा रहे हैं। अब वैज्ञानिकों ने शनि के चंद्रमाओं का नाम रखने के लिए प्रतियोगिता भी शुरू कर दी है। इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन ने इस प्रतियोगिता की घोषणा की है। कॉर्नेगी इंस्टीट्यूट फॉर साइंसेज के वैज्ञानिकों के अनुसार शनि ग्रह के जो नए चांद मिले हैं उनकी परिधि पांच किमी से ज्यादा है। बीते साल भी 12 चांद खोजे गए थे।
हवाई द्वीप पर टेलीस्कोप लगाकर खोजे शनि के चांद

कॉर्नेगी इंस्टीट्यूट फॉर साइंसेज के वैज्ञानिकों ने अमरीका के हवाई द्वीप पर टेलीस्कोप लगाकर शनि के नए 20 चांद की खोज की है। हालांकि,बृहस्पति के पास अब भी सौर मंडल के सभी ग्रहों के चंद्रमाओं में सबसे बड़ा चांद है।
शनि के सबसे छोटे चांद की परिधि पांच किमी है। वहीं बृहस्पति के सबसे छोटे चांद की परिधि 1.6 किमी है। ऐसे चांद को खोजने के लिए सबसे ताकतवर टेलीस्कोप की जरूरत पड़ती है। हालांकि,अब भी शनि पर चांद की खोज जारी है, क्योंकि वहां अब भी कई और चांद होने की उम्मीद है।
शनि के चारों तरफ कैसे बने इतने ढ़ेर सारे चांद?

कॉर्नेगी इंस्टीट्यूट फॉर साइंसेज के वैज्ञानिकों ने कयास लगाया है कि किसी बड़े उपग्रह के बाद इतने सारे चांद बन गए होंगे। ये टूटने के बाद शनि ग्रह से टक्करा कर दूरे चले गए होंगे। इन टुकड़ों को शनि ग्रह का एक चक्कर लगाने में करीब दो से तीन साल लग जाते हैं।
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