विशेषज्ञों का कहना है कि भारत अब खुले तौर पर आखिरकार खुद को लंबे समय तक अमरीका ( America ) के साथ आगे बढ़ा सकता है, हालांकि अभी भी दोनों देशों में कई तरह की असहमति होगी। सबसे बड़ी बात ये हैं कि इसमें से अधिकतर वाशिंगटन ( Washington ) के कारण है।
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अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ( US Secretary of State Mike Pompeo ) ने बीते दिनों भारत के समर्थन में बयान देते हुए कहा कि बीते 15 जून को लद्दाख सीमा चीन ने ‘अविश्वसनीय रूप से आक्रामक कार्रवाई’ की, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद ( Indian soldier martyr ) हो गए। पोम्पियो ने कहा कि चीन अपने सभी पड़ोसी देशों को चुनौती देने के लिए व्यापक रणनीति के तहत इस तरह हिंसा की घटना को अंजाम देता है।
Conservative Heritage Foundation के शोधार्थी जेफ एम. स्मिथ ने भारत-चीन प्रतिद्वंद्विता पर एक किताब लिखी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि अमरीका हमेशा से भारत को सीमावर्ती खुफिया जानकारी देने के लिए जाना जाता है और अब दोनों देशों में रक्षा अधिग्रहण की संभावना भी बढ़ी है। लेकिन स्मिथ ने कहा कि भारत अपने नागरिकों के सामने अमरीकी मदद को ठुकरा कर ये दिखाने की कोशिश की है कि नई दिल्ली को मदद की आवश्यकता नहीं है। भारत यह नहीं चाहता है कि चीनी प्रोपेगैंडा ( Chinese Propaganda ) में ये बात फैलाया जाए कि चीन-अमरीका में तनाव के बीच भारत अमरीका के इशारों पर काम कर रहा है।
भारत-अमरीका संबंध पर जोर
बता दें कि अमरीका 1990 के दशक से भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने पर जोर दे रहा है, लेकिन शीत युद्ध के दौरान भारत ने वैश्विक मंच पर ‘गुटनिरपेक्ष’ ( ‘Non-Aligned’ ) होने पर जोर दिया। लेकिन अब जब वर्तमान में भारत और अमरीका में सत्ता बदली है तो दोनों देशों में आपसी संबंधों में मजबूती दिखाई दे रही है।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( US President Donald Trump ) राष्ट्रवादी नेता के तौर पर पहचान रखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) के साथ अपनी दोस्ती को मजबूत करते हुए दिखाई दे रहे हैं। दोनों ही नेता कट्टरपंथी इस्लामिक ( Fundamentalist islamic ) खतरे को लेकर साथ मिलकर काम करने पर सहमत हैं और दोनों ने हाल ही में संयुक्त रूप से मेगा रैलियां भी की है।
कोरोना संकट को लेकर ट्रंप ने H1B वीजा को निलंबित कर दिया है और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को बाहर जाने के लिए कहा है। इसका सबसे अधिक प्रभाव भारत पर पड़ेगा। दूसरी तरफ भारत के चीर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान ( Pakistan ) के साथ-साथ चीन ( China ) के खिलाफ ट्रंप का रुख कड़ा है, जो कि भारत के लिए अच्छा है।