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शीतयुद्ध: अमरीकी प्रतिबंधों के बावजूद रूस से 30 हजार करोड़ का रक्षा सौदा कर सकता है भारत

रूस और अमरीका के बीच राजनयिक विवाद शीतयुद्ध जैसा रूप लेता जा रहा है जिसका असर अब भारत पर भी दिखने लगा है।

नई दिल्लीApr 06, 2018 / 01:24 pm

Dhirendra

नई दिल्‍ली। अमरीका और रूस के बीच जारी तनाव के बावजूद अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने समकक्ष जनरल सर्गेई शोयगू और उद्योग एवं व्यापार मंत्री डेनिस मंटुरोव से मॉस्‍को में रक्षा सौदों को लेकर बाचचीत की है। दोनों पक्षों ने विभिन्न सैन्य प्लेटफार्मों के लिए बातचीत में तेजी लाने का फैसला किया। लेकिन इस सौदे की राह में अमरीका और भारत का करीबी संबंध बाधक बन सकता है। ऐसा इसलिए कि भारत अमरीका का अहम रणनीतिक साझेदार है। इस स्थिति में रूस से 30 हजार करोड़ का रक्षा सौदा करना भारत के लिए आसान कम नहीं होगा।
अक्‍टूबर में हो सकता है रक्षा सौदा
आपको बता दें कि रूस, भारत को हथियारों और गोला-बारूदों की आपूर्ति करने वाले प्रमुख देशों में शामिल है। भारत की ज्यादातर हथियार प्रणालियां रूस से ली गई हैं। 30 हजार करोड़ रुपए के प्रस्‍तावित रक्षा डील के बारे में भारत का रूस से कहना है कि वह प्रमुख रक्षा प्लेटफार्मों के लिए प्रौद्योगिकी साझा करने में उदार रवैया अपनाए और रक्षा उपकरणों की कीमत कम करे। इन्‍हीं बातों को लेकर दोनों देशों के बीच एस- 400 ट्रायंफ हवाई रक्षा मिसाइल प्रणाली की खरीद को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। डील नहीं हो पाने की वजह कीमतों को लेकर मतभेद हैं। अब यह करार इस साल अक्टूबर में तब होने की उम्मीद है, जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर आएंगे।
विवाद सबसे बड़ी बाधा
रूस और ब्रिटेन के मध्य रूस के पूर्व जासूस सर्गेई स्क्रिपल और उकनी बेटी पर ब्रिटेन में हुए रासायनिक हमले ने धीरे-धीरे विश्व के अनेक महाशक्ति राष्ट्रों के बीच शीतयुद्ध जैसा रूप ले लिया है। ब्रिटेन ने हमले का आरोप रूस पर लगाते हुए उसके 23 राजनयिकों को निष्कासित कर दिया। बदले में रूस ने भी ब्रिटेन के उतने ही राजनयिकों को निकालने का एलान कर दिया, जिसके बाद ब्रिटेन के समर्थन में बीस से अधिक यूरोपीय देशों सहित अमरीका ने भी रूसी राजनयिकों को निष्कासित करने की घोषणा कर दी। ब्रिटेन सहित यूरोपीय और अमरीकी देशों ने रूस के करीब 150 राजनयिकों को निष्‍काषित कर रखा है। जबकि भारत के इन सभी देशों से अच्‍छे संबंध हैं। रूस जहां भारत का परंपरागत मित्र राष्‍ट्र है वहीं भारत अमरीका का अहम रणनीतिक साझेदार है। यही वजह है कि भारत के लिए यह रक्षा सौदा करना आसान नहीं होगा।
दो गुटों में बंटने के आसार
रूस की तरफ से भी इसकी समान प्रतिक्रिया हुई। इसके बाद अब विश्व के इन महाशक्ति देशों के बीच द्विध्रुवीय स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसमें एक छोर पर रूस खड़ा है तो दूसरे पर अमरीका सहित यूरोपीय देश खड़े हैं। अब प्रश्‍न यह है कि अमरीका-यूरोप और रूस के बीच छिड़ा ये कथित शीतयुद्ध विश्व समुदाय को कितना और किस प्रकार प्रभावित करेगा? इस ताजा विवाद की तुलना शीतयुद्ध से की जा रही? इसमें हथियारों से नहीं, बल्कि दो गुटों के देशों के बीच कूटनीतिक दांव-पेचों से लड़ाई होती है। शीतयुद्ध का आरंभ दूसरे विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और तत्कालीन सोवियत रूस के बीच मतभेद उत्पन्न होने के बाद से माना जाता है।
 

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