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अंतिम संस्कार के इंतज़ार में बूढ़ा हो गया जवानों का पार्थिव शरीर, 100 साल बाद मिला सम्मान

Published: Dec 02, 2017 06:38:17 pm

Submitted by:

राहुल

पहले विश्वयुद्ध में भारत के 74,187 सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि कुल 67 हज़ार से भी ज़्यादा घायल हो गए थे।

british indian army
नई दिल्ली। भारतीय सेना सिर्फ भारत और पाकिस्तान में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अपने डिसिप्लीन और कार्यशैली के लिए जानी जाती है। साहस और भारत माता की सेवा में परिवारों को छोड़ सरहदों की निगरानी करने वाले ये वीर जवान किसी के तारीफों के मोहताज नहीं हैं। आप ये तो जानते ही होंगे कि पहले विश्वयुद्ध में भारत ने अपने करीब 10 लाख सैनिकों को यूरोप, भूमध्यसागर के क्षेत्रों और मध्य पूर्व के कुछ क्षेत्रों में सेवाओं के लिए भेजा था। जिनमें से करीब 74,187 सैनिक युद्ध में शहीद हो गए थे, जबकि कुल 67 हज़ार से भी ज़्यादा घायल हो गए थे। पहले विश्वयुद्ध में भारतीय सैनिकों को ब्रिटिश इंडियन आर्मी का नाम भी मिला।
लेकिन आपको जानकर बहुत गुस्सा आएगा कि किसी दूसरे देश के लिए अपनी जान गंवाने वाले 2 भारतीय सैनिक का अब जाकर अंतिम संस्कार किया गया। हमारी सेना और हमारे जवानों के सम्मान के तौर पर यह काफी शर्मनाक बात है कि ब्रिटेन के लिए लड़ाई लड़ने वाले हमारे जवानों को अंतिम सम्मान मिलने में 100 साल का समय लग गया। बता दें कि ये दोनों सेना के 39वीं गढ़वाल राइफल्स के जवान थे। इनकी बॉडी के कुछ अवेशष फ्रांस में पिछली साल हुए एक उत्खनन में मिले थे। जिसके बाद उन्हें पहचानना काफी मुश्किल था। लेकिन उनकी वर्दी से उनकी पहचान हो गई।
पहचान होने के बाद दोनों जवान के पार्थिव शरीर को बीते रविवार के दिन फ्रांस की राजधानी पेरिस से करीब 230 किमी दूर पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। इस काम के लिए सबसे बड़ा योगदान कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव्स कमीशन ने दिया। जिन्होंने शहीदों की कब्र पर हमेशा पहरा देते रहते थे और उनकी सुरक्षा करते थे। जवानों के शवों के बारे में पता चलता ही ग्रेव्स कमीशन ने भारतीय दूतावास और फ्रांसीसी अधिकारियों को सूचना दी थी। जिसके बाद लावेन्टी गांव के एक कब्रिस्तान में दोनों भारतीय जवानों को दफना दिया गया।
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