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भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी एस्थर डफ्लो समेत तीन को मिला अर्थशास्त्र का नोबेल

locationनई दिल्लीPublished: Oct 15, 2019 02:40:21 pm

Submitted by:

Anil Kumar

अभिजीत बनर्जी को एस्थर डफ्लो और माइकल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार दिया गया है
अभिजीत बनर्जी का जन्म का जन्म 21 फरवरी 1961 में कोलकाता में हुआ था
बनर्जी मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में अर्थशास्त्र प्रोफेसर हैं

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स्टॉकहोम। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की घोषणा हो गई है। इस वर्ष भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी को एस्थर डफ्लो और माइकल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize 2019) दिया गया है। इससे पहले 1998 में अमर्त्य सेन को इकोनॉमिक्स का नोबेल दिया गया था

तीनों को वैश्विक गरीबी को कम करने के लिए प्रयोगात्मक दृष्टिकोण के लिए यह सम्मान दिया गया है। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार की घोषणा की। बता दें कि एस्थर डुफ्लो, अभिजीत बनर्जी की पत्नी हैं।

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इसलिए मिला यह सम्मान

बता दें कि इस पुरस्कार को आधिकारिक तौर पर ‘बैंक ऑफ स्वीडन प्राइज इन इकोनॉमिक साइंसेज इन मेमोरी ऑफ अल्फ्रेड नोबेल’ के रूप में जाना जाता है। यह पुरस्कार संस्थापक द्वारा नहीं बनाया गया था, फिर भी इसे नोबेल का हिस्सा माना जाता है।

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एकेडमी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ‘तीनों ने वैश्विक गरीबी से लड़ने के सर्वोत्तम तरीकों को लेकर एक विश्वसनीय और नया दृष्टिकोण पेश किया है। इसलिए इन्हें नोबेल से सम्मानित किया जाता है।’ इस पुरस्कार के तहत 90 लाख स्वीडिश क्राउन (9लाख 15हजार 300 डालर) मिलेंगे।

कौन हैं अभिजीत बनर्जी

अभिजीत बनर्जी का जन्म का जन्म 21 फरवरी 1961 में कोलकाता में हुआ था। 58 वर्षीय बनर्जी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षा हासिल की। इसके बाद उन्होंने 1988 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।

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मौजूदा समय में बनर्जी MIT वेबसाइट पर अपनी प्रोफाइल के अनुसार मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफेसर हैं। उन्होंने संयुक्त रूप से अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब (J-PAL) की स्थापना की थी

अभिजीत बनर्जी ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव के पद 2015 विकास एजेंडा पर प्रख्यात व्यक्तियों के उच्च-स्तरीय पैनल में भी कार्य किया था।

अभिजीत ने पहली किताब 2005 में वोलाटिलिटी एंड ग्रोथ लिखी थी। वे अब तब सात किताबें लिख चुके हैं। अभिजीत को 2011 में आई उनकी किताब पूअर इकोनॉमिक्सः ए रेडिकल रीथीकिंग ऑफ द वे टू फाइट ग्लोबल पॉवर्टी से पूरी दुनिया में काफी प्रसिद्धि मिली।

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