दूध का उत्पादन घरेलू खपत से ज्यादा
शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि भेड़-बकरी नहीं गाय-भैंस जैसे पशु थे। अध्ययन का नेतृत्व कर रहे मिसिसॉगा विश्वविद्यालय के पोस्टडॉक्टोरल रिसर्चर कल्याण शेखर चक्रवर्ती के अनुसार डेयरी उत्पादन की उपलब्धता के चलते ये पुरानी सभ्यता समृद्ध रही होगी। इसके जरिये ही पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन मिलता रहा होगा। संभव है कि दूध का उत्पादन घरेलू खपत से ज्यादा रहा होगा।
ये शोधकर्ता रहे शामिल
अध्ययन में एक और भारतीय प्रोफेसर डेक्कन कॉलेज पोस्ट ग्रेजुएट एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के भारतीय प्रोफेसर प्रबोध सिरवालकर व अन्य प्रोफेसर हीथर मिलर, हैमिल्टन की मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ जियोग्राफी एंड अर्थ साइंसेज से संबद्ध प्रोफेसर ग्रेग स्लाटर शामिल रहे।