ग्लोबल हैप्पीनेस इंडेक्स में सबसे पहला नाम फिनलैंड का आता है। कुल 55 लाख की आबादी वाला यह देश दुनिया के सबसे खुशहाल देशों में शुमार है। इस देश में क्राइम का रेट भी बेहद कम है। वर्ष 2015 में यहां केवल 50 मर्डर हुए थे जबकि 2018 में यहां 38 केवल हत्याएं हुई हैं। यहां की पुलिस बहुत भरोसेमंद और सक्षम है। इस देश में कानून का पालन सख्ती से होता है। यहां के नागरिक अपने देश की पुलिस पर भरोसा करते हैं। यहां के नेता देश की नीतियां इस तरह बनाते हैं जिससे देश की तरक्की होती है।
इस सूची में नार्वे को दूसरा स्थान मिला है। नॉर्वे अपने पयर्टकों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां का ब्रिगेन बंदरगाह विश्व भर में प्रसिद्ध है। हर साल हजारों पर्यटन यहां के लिए आते हैं। नार्वे को अर्ध रात्रि के सूर्य का देश कहा जाता है।यहां लोग बेहद खुशहाल हैं। यह देश अपनी सस्ती चीजों के लिए जाना जाता है।
यूरोपीय देश डेनमार्क खुश रहने की सूची में तीसरे पायदान पर आता है। डेनमार्क, आइसलैंड के बाद दुनिया का सबसे शांत देश है। यह विश्व के सबसे कम भ्रष्ट देशों में से है। न्यूज़ीलैंड और स्वीडन के साथ इसका स्थान पहला है। डेनमार्क के बारे में कहा जाता है कईलोग अब भी यहां घरों में ताले नहीं लगाते। यहां दुनिया में सबसे कम ह्रदय रोगी पाए जाते हैं।
खुशहाल देशों की सूची में उत्तरी अटलांटिक देश आइसलैंड चौथे नंबर पर है। आइसलैंड अपने पर्यटन के मशहूर है। हर साल लगभग 10 लाख पर्यटक आते हैं। हाल के वर्षों में आइसलैंड के पर्यटन उद्योग में तेजी आई है।यह देश अपनी आइसहॉकी के लिए जाना जाता है।
यूरोप का छोटा देश स्विट्ज़रलैंड दुनिया का 5वां सबसे खुशहाल देश माना जाता है। आल्प्स पर्वतों की ऊंचाई से ढका हुआ यह देश अपने प्राकृतिक नजारों के लिए मशहूर है। इस देश में बहुत ही खूबसूरत नजारे हैं। यहां के लोगों का जीवन स्तर दुनिया में सबसे बेहतर है। स्विट्ज़रलैंड अपनी घड़ियों और चॉकलेट के लिए बहुत मशहूर हैं।
संयुक्त राष्ट्र की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार सर्वाधिक खुशहाल देशों की वैश्विक सूची में भारत 133 वें पायदान पर है। आंकड़े बताते हैं कि भारत में खुशहाली की स्थित दुनिया के कई देशों के मुकाबले काफी नीचे है। यहां तक कि पाकिस्तान और नेपाल जैसे देश भी भारत से बेहतर स्थिति में हैं। 2017 में भारत का स्थान 122 वां था। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में बढ़ते भ्रष्टाचार और अपराध की वजह से 156 देशों में से इसे यह स्थान प्राप्त हुआ है। भारत में अवसाद और हृदय रोगियों की संख्या पर भी रिपोर्ट में चिंता जताई गई है।