सुनाई मौत की सजा
जानकारी के अनुसार पुलिस जांच में सामने आया है कि इन महिलाओं के आईएस से ताल्लुक थे। यही नहीं ये महिलाओं इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों को टेरर अटैक जैसी घटनाओं को अंजाम देने में भी पूरी मदद करती थी। इन पर लगे आरोपों के बाद अपराध सिद्ध होने पर उनको मौत की सजा सुनाई गई है। जस्टिस अब्दुल सत्तार के अनुसार बचाव पक्ष कोर्ट के फैसले को लेकर उच्च अदालत में अपील कर सकता है। उन्होंने बताया कि हजारों की संख्या में विदेशियों ने इराक और सीरिया में 2014 से अब तक आईएस के पक्ष में लड़ाई लड़ी है। यहां तक कि आईएस में शामिल करने के लिए अधिकांश महिलाओं को बाहर से लाया गया है।
11 महिलाओं को पहले सुनाई थी सजा
आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) में शामिल होने के लिए इराक की एक अदालत ने तुर्की की एक महिला को मौत की सजा और दस अन्य विदेशी महिलाओं को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इराक की शीर्ष न्यायिक परिषद के प्रवक्ता ने बताया कि केंद्रीय आपराधिक न्यायालय ने तुर्की की नागरिकता प्राप्त एक महिला को फांसी पर लटका कर मौत की सजा सुनाई और विभिन्न देशों की दस महिलाओं को आजीवन कारावास की सजा दी।प्रवक्ता अब्दुल सत्तार अल-बिराक्दार के हवाले से बताया कि सभी अभियुक्तों की सजा आरंभिक दौर में है और ये आदेश अपीलीय अदालत द्वारा पुनरीक्षण के अधीन हैं। जनवरी में अदालत ने एक जर्मन महिला को चरमपंथी गुट में शामिल होने और उसे आपराधिक कार्यो को अंजाम देने में लॉजिस्टिक मदद पहुंचाने के लिए मौत की सजा सुनाई थी। उसे इराकी सुरक्षा बल पर हमला करने में भागीदारी के लिए भी दोषी करार दिया गया था। इराक और पड़ोसी देश सीरिया के बड़े भूभाग पर आईएस के कब्जा करने के दौरान इस आतंकी गुट में हजारों लड़ाकू व समर्थक शामिल हुए थे, जो विभिन्न देशों के नागरिक थे।