सीरिया के अली रोज शरणार्थी शिविर से एक कार्यक्रम के लिए पहली बार दिए एक साक्षात्कार में 22 वर्षीय शमीमा ने बुधवार को कहा कि वह किसी भी सजा को स्वीकार करने को तैयार है। मगर उसके मामले की सुनवाई ब्रिटिश अदालत में की जाए।
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उसने कहा कि वह आईएसआईएस में दोबारा जाने के बजाय मरना पसंद करेंगी। शमीमा ने ब्रिटेन में आतंकवाद से लड़ने के लिए मदद की भी पेशकश करी है।
नहीं जानती थी कि यह मौत का रास्ता है
शमीमा ने कहा कि उसका फायदा उठाया गया है। तथ्यों को गलत तरीके से पेशकर गुमराह करने की कोशिश की गई है। आतंकवादी संगठन में उसकी भूमिका केवल ‘मां और पत्नी’ की थी। शमीमा ने बताया कि जिस वजह से वह सीरिया में आई थी वह हिंसा नहीं थी। उस समय वह नहीं जानती थी कि यह मौत का रास्ता है। उनका विचार था कि यह मुस्लिम समुदाय है जिससे वे जुड़ने आई थीं।’
मां और पत्नी की भूमिका में रहीं
उसने आतंकवादी गतिविधियों से रिश्ते होने के दावे पर कहा कि ‘मेरी इच्छा कोर्ट जाने और उन लोगों का सामना करने की है, जो दावे करे हैं कि वह खतरनाक मनसूबा लेकर आईएसआईएस में शामिल हुईं थी। शमीमा ने कहा कि इस्लामिक स्टेट में उन्होंने कुछ नहीं किया बल्कि वहां मां और पत्नी की भूमिका में रही हैं। ऐसे दावे मुझे बुरा दिखाने के लिए करे गए क्योंकि सरकार के पास मेरे खिलाफ कुछ नहीं है।’
बेसबॉल की ड्रेस में दिखाई दीं
शमीमा साक्षात्कार के वक्त बेसबॉल की ड्रेस में दिखाई दीं। खेल में पहनी जाने वाली टोपी और पश्चिमी परिधान में दिखीं। गौरतलब है कि शमीमा 2015 में आईएसआईएस में शामिल होने के लिए सीरिया पहुंची थीं। उस दौरान वह स्कूल में पढ़ाई कर रही थीं।