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भारी विरोध के बावजूद इजरायल में विवादस्पद यहूदी राज्य कानून लागू

locationनई दिल्लीPublished: Jul 19, 2018 03:22:59 pm

भारी विरोध के बावजूद इजरायल में विवादस्पद यहूदी राज्य कानून लागू हो गया है। यह विधेयक सत्तारूढ़ लिकुड पार्टी के सांसद अवि डिचटर ने पेश किया था । डिचटर इजरायली खुफिया एजेंसी शिन बेत के प्रमुख रह चुके हैं।

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नई दिल्ली। इजरायल यहूदी लोगों का राष्ट्र-राज्य होगा। इसे पहले इजरायल ने ‘राष्ट्रीयता विधेयक’ को मंजूरी दे दी थी।
इस विधेयक को कानून की मंत्रिस्तरीय समिति से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है।कानून के आलोचक इसे पक्षपातपूर्ण और नस्लीय बता रहे हैं। इसमें अरबी की इजरायल की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता खत्म करने और हिब्रू को इजरायल की एकमात्र औपचारिक भाषा घोषित करने का प्रावधान है।
क्या है इस कानून में

इस कानून के मुताबिक इजरायल सिर्फ यहूदी लोगों का ‘घर’ है । यह विधेयक सत्तारूढ़ लिकुड पार्टी के सांसद अवि डिचटर ने पेश किया था । डिचटर इजरायली खुफिया एजेंसी शिन बेत के प्रमुख रह चुके हैं। राजनैतिक सरकार द्वारा समर्थित “राष्ट्र राज्य” कानून पर महीनों के वाद-विवाद के बाद 120 सदस्यीय संसद में 62-55 के वोट से पास हुआ। इजरायली संसद में वोटिंग के बाद कुछ अरब सांसदों ने इसके विरोध में शोर शराबा किया और कागजात फाड़ दिए।
अरबों द्वारा भारी विरोध

प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने वोट के बाद संसद से कहा, “यह जिओनिज्म के इतिहास और इज़राइल राज्य के इतिहास में एक मील का पत्थर है।यह कानून इजरायल राज्य के जन्म की 70 वीं वर्षगांठ के ठीक बाद अधिनियमित किया गया था। यह कानून निर्धारित करता है कि “इज़राइल यहूदी लोगों का ऐतिहासिक मातृभूमि है और उनके पास ही देश में राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता का एकमात्र अधिकार है”। इस बिल का अरब मूल के लोगों ने भारी विरोध किया है। इजराएल में 1.8 मिलियन अरब हैं, जो इजरायल की कुल 9 मिलियन आबादी का लगभग 20% हैं।
अपने कद में परिवर्तनों के बाद कानून के आलोचकों ने कहा कि यह कानून अरब अल्पसंख्यकों के भीतर अलगाव की भावना को गहरा कर देगा। जबकि नेतन्याहू ने कानून का बचाव किया है। उन्होंने पिछले हफ्ते कहा, “हम इजरायल के लोकतंत्र में नागरिक अधिकार सुनिश्चित करेंगे, लेकिन बहुमत के अधिकार भी हैं और बहुमत के निर्णय ही मान्य होते हैं।”

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