इजराइली प्रधानमंत्री के कार्यालय की ओर से जारी बयान में नेतन्याहू ने कहा कि- ‘हम इसकी समयसारणी देखेंगे, यह (सीरिया से अमरीकी सैनिकों की वापसी) किस तरह क्रियान्वित होगी…। निसंदेह हमारे लिए इसकी जटिलताएं हैं। किंतु किसी भी स्थिति में हम इजराइल की सुरक्षा बनाए रखने पर ध्यान देंगे।’
नेतन्याहू ने कहा कि उन्होंने अमरीका की योजना के बारे में मंगलवार को डोनाल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री माइक पोम्पियो से बात की थी। ट्रंप ने ट्वीट किया था कि- ‘हमने सीरिया में आईएसआईएस को हरा दिया है। वहां होने का हमारा यही उद्देश्य था।’ अमरीका के राष्ट्रपति ने सीरिया से अमरीकी सैनिकों को वापस बुलाने का संकेत दिया था, बाद में इस बात की पुष्टि अमरीकी अधिकारी ने की। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार- अधिकारी ने नाम सामने न लाने की शर्त पर कहा कि- ‘पूर्ण वापसी, पूरी तरह।’
बता दें, फिलहाल सीरिया में लगभग दो हजार अमरीकी सैनिक तैनात हैं। इनमें से ज्यादातर आईएस से लड़ रहे स्थानीय लड़ाकों को प्रशिक्षण और परामर्श देने के मिशन पर हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सीरिया से अमरीकी सैनिकों की वापसी जल्द से जल्द होगी। हालांकि उन्होंने इसका कोई तय समय नहीं बताया। साल 2011 में युद्ध शुरू होने के बाद से इजराइल ने सीरिया पर कई हमले करके ईरानी ठिकानों, हिज्बुल्ला के ठिकानों और आतंकियों के काफिलों को निशाना बनाया है।
गौर हो, ईरान और हिज्बुल्ला दोनों सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद का समर्थन करते हैं। दोनों इजराइल के विरोधी हैं। विश्लेषकों के अनुसार- अगर सीरिया से अमरीकी सैनिकों की वापसी हुई तो वहां रूसी और ईरानी सहयोगियों के समर्थन से असद का प्रभाव बढ़ेगा।