धार्मिक नेता शोको असाहारा से जुड़ी प्रमुख बातें
1. 1995 के टोक्यो अंडरग्राउंड नर्व गैस हमले के आरोप में साल 2004 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। इस हमले को जापान में घरेलू आतंकवाद की सबसे भयावह घटना माना जाता है। इसमें 13 लोगों की मौत हो गई थी। एक हजार से ज्यादा लोग बीमार हो गए थे।
1. 1995 के टोक्यो अंडरग्राउंड नर्व गैस हमले के आरोप में साल 2004 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। इस हमले को जापान में घरेलू आतंकवाद की सबसे भयावह घटना माना जाता है। इसमें 13 लोगों की मौत हो गई थी। एक हजार से ज्यादा लोग बीमार हो गए थे।
2. जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव योशिहिदे सुगा ने शोको असाहारा को शुक्रवार सुबह फांसी दिए जाने की पुष्टि की। उसके बाद आसाहारा के अलावा ओम शिनरीक्यो से जुड़े छह अन्य सदस्यों को भी फांसी दी गई।
3. जापान में ओम शिनरीक्यो संप्रदाय के अब भी हज़ारों अनुयायी हैं।
4. धार्मिक नेता शोको असाहारा का असल नाम चिजुओ मात्सुमोतो था। 1955 में क्यूशू द्वीप में उनका जन्म हुआ था। उन्होंने अपना बदलकर अपना अलग धार्मिक साम्राज्य स्थापित किया था। असाहारा शुरू में योग शिक्षक के तौर पर काम करते थे और कम उम्र में ही उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी।
5. 1980 में हिंदू और बौद्ध मान्यताओं के मिश्रण के तौर पर एक आध्यात्मिक समूह के रूप में उन्होंने ओम शिनरीक्यो संप्रदाय की शुरुआत की थी। ओम शिनरीक्यो का शाब्दिक अर्थ है परम सत्य।
6. 1989 में इस समूह को जापान में एक धार्मिक संस्था के तौर पर औपचारिक मान्यता मिली थी।
7. इस संप्रदाय ने इस बात की घोषणा की थी कि एक विश्व युद्ध में समूची दुनिया खत्म होने वाली है। इस घटना में केवल उनके संप्रदाय के लोग ही जीवित बचेंगे।
8. 1995 हमले के बाद यह संप्रदाय जापान में भूमिगत हो गया। इस घटना के बाद इसने अपना बदलकर एलेफ और हिकारी नो वा रख लिया।
9. ओम शिनरीक्यो को अमरीका सहित कई विकसित देश आतंकवादी संगठन मानते हैं। हालांकि जापान में एलेफ और हिकारी नो वा दोनों संगठनों को मान्यता प्राप्त है और ख़तरनाक धर्म की श्रेणी में रखा गया है। इनके धर्मावलंबियों पर निगरानी जरूरी मानी गई है।
10. आज भी जापान और बाकी दुनिया में इनके अनुयायी हैं। खास तौर से रूस और उसके आस-पास के देशों में। 2016 में रूस में इस संप्रदाय के संदिग्ध सदस्यों की तलाश में पुलिस ने मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग में छापे मारे थे।