‘मेंटल हॉस्पिटल में फिर हुई दोनों की मुलाकात’ हाईकोर्ट में दायर की गई श्रीजा की याचिका के मुताबिक अरुणा को उसके परिजनों ने गैरकानूनी तरीके से अपने कब्जे में रखा हुआ है। श्रीजा ने बताया, ‘अगस्त में दोनों ने साथ रहना शुरू किया था लेकिन इसके बाद अरुणा के परिजनों ने उसकी गुमशुदगी का मामला दर्ज करा दिया। इसके बाद तिरुअनंतपुरम की एक मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने अरुणा को अलग कर दिया और उसके परिजन उसे जबर्दस्ती अपने साथ ले गए। इसके बाद अरुणा को मेंटल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां दोनों की फिर से मुलाकात हुई। लेकिन अस्पताल प्रशासन अरुणा को श्रीजा के साथ जाने देने को तैयार नहीं हुआ।’
बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के बाद हुई पेशी श्रीजा ने बाद में केरल हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई। इसके बाद पुलिस को आदेश मिला कि अरुणा को कोर्ट के समक्ष पेश किया जाए। मंगलवार को अरुणा को कोर्ट में पेश किया गया जहां उसने श्रीजा के साथ रहने की इच्छा जताई। इस दौरान श्रीजा ने समलैंगिक संबंधों पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का भी जिक्र किया। अंत में इस पर जस्टिस सीके अब्दुल रहीम और जस्टिस नारायण पिशार्डी की खंड पीठ ने दोनों को साथ रहने की अनुमति दे दी।