आपको बता दें कि आज दुनिया में परमाणु हथियारों पर रोक या फिर इनका खात्मा इसलिए जरूरी हो गया है, क्योंकी ये लगातार विश्व को तबाही के पटल पर धकेल रहा है। साथ ही परमाणु हथियारों के परीक्षण से मानवता को भी खतरा है। आज विकसित देशों से लेकर विकासशील देश सभी परमाणु हथियारों का लगातार परीक्षण कर रहे हैं और ऐसे में ये मानवता के लिए खतरे वाली बात है। हाल ही में नॉर्थ कोरिया ने दुनिया के सबसे खतरनाक हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण कर सबको हैरान कर दिया था, जिसके बाद से ही अमरीका और नॉर्थ कोरिया के बीच युद्ध तक की स्थिति बन गई है। दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच जुबानी जंग तो लगातार जारी है। वहीं दूसरी तरफ भारत और पाकिस्तान के बीच भी समय-समय पर परमाणु हमले की धमकियां दोनों तरफ से दी जाती हैं। खासकर पाकिस्तान किसी भी विवाद को लेकर भारत पर परमाणु हमले की धमकी देता रहता है।
परमाणु हमले से मानवता को किस कदर नुकसान होता है, उसका उदाहरण हम दूसरे विश्व युद्ध (1939-1945) में देख चुके हैं जब जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराकर द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हुआ था। जापान पर हुए परमाणु हमले में 1,29,000 लोग मारे गए थे। परमाणु हमले के भयानक नतीजों और इसके बढ़ते प्रसार के चलते आज परमाणु हथियारों का खात्मा जरूरी हो गया है, जिसके काम में नोबेल शांति विजेता ‘इंटरनेशनल कैंपेन टू एबॉलिश न्यूक्लियर वीपन्स’ संस्था जुटी हुई है। आज भी दुनिया के कई देशों के बीच परमाणु हमले के आशंकाए बनी हुई है, जिसके परिणाम भयंकर से भी भयंकर हो सकते हैं।
विश्व में बढ़ते परमाणु हथियारों के जखीरे को देखते हुए ‘इंटरनेशनल कैंपेन टू एबॉलिश न्यूक्लियर वीपन्स’ ने पिछले 10 सालों में इनके खात्मे के लिए कई कैंपेन चलाए हैं। 2007 में बनी इस संस्था में अब तक 101 देशों के 468 पार्टनर हैं। ICAN ने ‘इंटरनेशनल कैंपेन टू बैन लैंडमाइंस’ संस्था से प्रभावित होकर परमाणु हथियारों के खात्मे की दिशा में ये मिशन शुरु किया था।
हालांकि दुनिया में परमाणु हथियारों के बढ़ते जखीरे पर रोक लगाने के लिए ICAN के अलावा भी कई संस्थाएं इस दिशा में काम कर रही हैं। इन्हीं में से एक है ‘न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप’ (NSG) जो कि 46 देशों का ए समूह है। NSG परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए प्रयासरत है, जिसके सदस्य देश परमाणु उपकरण, सामग्री, टेक्नॉलॉजी के निर्यात पर रोक लगाते हैं।