वहीं मादुरो के दोनों प्रतिद्वंद्वियों ने आरोप लगाया है कि ये चुनाव अवैध है और साल के अंत तक दोबारा से चुनाव कराने की मांग की है। गौरतलब है कि लैटिन अमरीका इस समय गंभीर आर्थिक संकट और भुखमरी से जूझ रहा है। ऐसे में यहां पर राष्ट्रपति का चुनाव होना एक खास मायने रखती है। लेकिन यहां के लोग और प्रशासन इस चुनाव के नतीजों को लेकर पहले से ही आश्वस्त थे।
सत्ता पर पकड़ मजबूत करना मुख्य उद्देश्य वेनेजुएला के कुछ क्षेत्रों के बच्चे अभी भी कुपोषण की जिंदगी जीते हैं। वहीं यहां के कई नागरिक देश छोड़कर कोलंबिया और ब्राजील में शरण ले चुके हैं। ऐसे में निकोलस मादुरो सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए राष्ट्रपति की दौड़ में उतरे और जीत भी गए।
एक बार फिर वेनेजुएला के बादशाह बने निकोलस मादुरो, राष्ट्रपति का चुनाव जीता काम आई उगो शावेज की विचारधारा निकोलस मादुरो वो नेता बनकर उभरे जिनकी तुलना 21वीं शताब्दी के सबसे ताकतवर और शानदार नेता उगो शावेज से जाती है। मादुरो की सरकार में ही देश काफी समय से आर्थिक संकट झेल रहा है। लेकिन फिर भी मादुरो की सरकार बची रही, जिसमें उगो शावेज की विचारधारा का असर साफ दिखाई देता है।
लोगों का भरोसा कई संकटों जैसे-खाद्य संकट, दवाओं, असुरक्षा और भ्रष्टाचार के निवारण के लिए भी वेनेजुएला के लोगों को मादुरे पर भरोसा है और इल समस्याओं के निवारण के लिए ही कम 50 लाख लोगों ने उन्हें वोट दिए।
वेनेजुएला सरकार ने कहा, अगर मोदी मान लें ये बात तो धड़ाम से गिर जाएंगे पेट्रोल के दाम पूर्व राष्ट्रपति उगो शावेज का नाम खास निकोलस मादुरो वेनेजुएला की राजनीति में अपना एक अहम कद रखते हैं। दरअसल, वेनेजुएला के लोगों के दिलों में मादुरो की जगह होने का भी एक खास कारण है। और वो खास कारण है पूर्व राष्ट्रपति उगो शावेज। निकोलस मादुरो, उगो शावेज के करीबियों में से एक रहे हैं। उगो शावेज अपनी जिंदगी के आखिरी दिनों में कैंसर से पीड़ित थे और मरते समय उन्होंने निकोलस मादुरो को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था
हालांकि कई प्रयासों के बाद भी मादुरो की सरकार आर्थिक संकट को कम नहीं कर पाई। बावजूद इसके मादुरो ने अब तक हार नहीं मानी और अपने साबित भी कर दिखाया। बहरहाल, अब देखना यह है कि इस जीत मादुरो कितना कुछ बदलने में सफल रहते है।