एल्बिनिज्मग्रस्त लोग एक अजीबोगरीब डर के साथ जिंदगी जीते हैं। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में कई तरह की काल्पनिक बातें दुनियाभर में फैली हुई हैं। इन बातों की वजह से इससे पीडि़त लोगों का जीना मुश्किल है। इन काल्पनिक बातों की वजह से कई बार पीडि़तों की हत्या तक कर दी जाती है। पीडि़त महिलाओं के साथ रेप तक की घटनाएं भी सामने आती हैं। कई माता-पिता ऐसे बच्चों को बेच भी देते हैं। कुछ लोग इनमें भूत-प्रेत या दैवीय शक्ति का वास मानते हैं। यह रोग संक्रामक नहीं होता, फिर भी लोग ऐसे लोगों से दूर रहते है।
दक्षिण अफ्रीका में बड़ी संख्या में एल्बिनिज्म से पीडि़त लोग हैं। उनके सम्मान में हर साल सितंबर में एल्बिनिज्म जागरूकता माह भी यहां मनाया जाता है। समाज में जागरूकता फैलाने के लिए बनाई गई माला की इस डॉल का नाम एलेक्सा है। यह एल्बीनिज्म पीडि़तों की तरह दिखती है। वे कहती हैं- यह रोग किसी की सुंदरता को खत्म या कम नहीं कर देता। इससे पीडि़त महिलाएं भी उतनी ही खूबसूरत हैं, जितनी कि दूसरी महिलाएं। इन डॉल्स को बनाने का मकसद एल्बिनिज्म के बारे में फैले झूठे विश्वास दूर करना है। माला अपने फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट के माध्यम से भी इस संदेश को दूसरों तक पहुंचा रही हैं।
माला कहती हैं- मैं सभी को यह बताना चाहती हूं कि ये लोग देखने में अलग हैं, लेकिन अंदर से वे भी इंसान हैं। उनके लिए जिंदगी में संघर्ष ज्यादा हैं। हमारा फर्ज है कि इंसानियत दिखाकर उन्हें समाज से अलग-थलग न करें, बल्कि उनसे प्यार से पेश आएं। उन्हें बताएं कि एल्बिनिज्म पीडि़त से दोस्ती करने में कोई नुकसान नहीं है।
कोट- मैं चाहती हैं कि अभिभावक डॉल एलेक्सा के जरिए अपने बच्चों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करें। – माला ब्रायन
कोट- मैं चाहती हैं कि अभिभावक डॉल एलेक्सा के जरिए अपने बच्चों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करें। – माला ब्रायन
क्या है एल्बिनिज्म?
यह एक अनुवांशिक समस्या है। इसे रंगहीनता भी कहा जाता है। इसमें व्यक्ति के शरीर में रंग के लिए जिम्मेदार तत्व मेलानिन कम बनता है या बिल्कुल नहीं बनता। इससे ग्रस्त लोगों की त्वचा और आंखों का रंग हल्का होता है। दृष्टि भी धुंधली हो सकती है। इन्हें धूप से बहुत परेशानी होती है और इनमें त्वचा का कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है। इसका कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है। दुनिया में 18 से 20 हजार लोगों में से एक में एल्बिनिज्म पाया जाता है।
यह एक अनुवांशिक समस्या है। इसे रंगहीनता भी कहा जाता है। इसमें व्यक्ति के शरीर में रंग के लिए जिम्मेदार तत्व मेलानिन कम बनता है या बिल्कुल नहीं बनता। इससे ग्रस्त लोगों की त्वचा और आंखों का रंग हल्का होता है। दृष्टि भी धुंधली हो सकती है। इन्हें धूप से बहुत परेशानी होती है और इनमें त्वचा का कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है। इसका कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है। दुनिया में 18 से 20 हजार लोगों में से एक में एल्बिनिज्म पाया जाता है।