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‘घर वापसी’ से बेहद खुश हैं मलाला

locationनई दिल्लीPublished: Mar 31, 2018 02:39:08 pm

मलाला यूसुफजई ने कहा है कि वह पाकिस्तान स्थित अपने गृह नगर स्वात आकर बेहद खुश हैं।

malala
पाकिस्तान : आतंकवादियों के सामने घुटने न टेकने वाली पाकिस्तान की मलाला युसुफ़जई अपने गृह नगर आकर खुश हैं। बता दें कि आतंकवाद से प्रभावित इस क्षेत्र में गोली मारे जाने के बाद मलाला की यह पहली यात्रा है। पांच साल पहले तालिबान के आतंकवादियो ने उनके सिर में गोली मार दी थी। उन्हें सर्जरी के लिए ब्रिटेन में भेजा गया था तबसे वह वहीं रह रही हैं। “आई एम मलाला” नाम की अपने आत्मकथा लिखकर वह बेस्ट सेलर राइटर भी बनीं ।
20 वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता को सुरक्षा के बीच कल उनके गृह नगर लाया गया।उनके साथ पाकिस्तानी सेना के कमांडो थे जो सुरक्षा प्रदान कर रहे थे। साथ ही मलाला की मां, पिता और दो भाई भी उनके साथ थे। पाकिस्तान मीडिया की खबरों में कहा गया है कि इस्लामाबाद से सेना के हेलीकॉप्टर से उड़ान भरने के बाद, वह जिले के मुख्य शहर मिंगोरा से करीब 15 किलोमीटर दूरी स्थित अपने गांव पहुंचीं। वहां से वह स्वात कैडेट कॉलेज गईं जहां उन्होंने वहां के छात्रों से मुलाक़ात की ।
फूट फूट कर रोईं मलाला

गुरुवार को एक टेलीविजन भाषण के दौरान वह फूट फूट कर रो पड़ी थीं। उन्होंने कहा था कि घर वापस आना उनके लिए एक सपने जैसा है। मलाला ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा “मुझे अभी भी हर पल याद है ।रात में सोते वक्त मैं डर से जग जाती थी । हर पल ऐसा लगता था कि आप अगले दिन जीवित नहीं हो सकते। अब भी डर रहता है कि यदि आप स्कूल जा रहे हैं, तो कोई आपको रोक सकता है और आपके चेहरे पर एसिड डाल सकता है।”
पाकिस्तानी मीडिया की खबरों के अनुसार मलाला अपनी अधूरी शिक्षा पूरी करने के लिए ब्रिटेन में हैं। वह अपनी शिक्षा पूरी कर लेने के बाद स्थायी रूप से वापस लौट आएंगी। स्वात के उनके गृहनगर में तालिबान आंदोलन की स्थानीय शाखा तब शुरू हुई थी, जब वह 9 वर्ष की थी।तब तहरीक ए तालिबान ने टेलीविजन, संगीत और लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया और करीब 200 स्कूलों को जला दिया था।
बता दें कि 9 अक्टूबर 2012 को एक आतंकवादी ने उन्हें स्कूल बस में चढ़ते वक़्त गोली मार दी थी। ऐसा उन्हें लड़कियों की शिक्षा की पैरवी करने और कट्टरपंथियों के स्कूलों को जलाने की घटनाओं की एक ब्लॉग पर निंदा करने के कारण किया गया था। बाद में उनका परिवार ब्रिटिश शहर बर्मिंघम में बस गया था। मानवाधिकारों और लड़कियों की शिक्षा कि उनकी कोशिशों के चलते वह मानव बेहतरी के लिए एक वैश्विक प्रतीक बन गई है। 2014 में वह केवल 17 साल की उम्र में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित होने वाली सबसे कम आयु की व्यक्ति बन गईं ।
मलाला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब सम्मान प्राप्त है, लेकिन उनके बारे में पाकिस्तान में राय विभाजित है। कुछ रूढ़िवादी उसे अपने देश को शर्म शार करने वाला पश्चिमी एजेंट मानते हैं। हालांकि इलाके के निवासियों ने मलाला की सराहना की है । शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने में मदद करने के लिए मलाला की खूब तरफ की गई है।
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