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George Floyd को श्रद्धांजलि देने उमड़ा जनसैलाब, ह्यूस्टन के चर्च परिसर में रखा गया शव

locationनई दिल्लीPublished: Jun 09, 2020 09:34:23 pm

Submitted by:

Anil Kumar

HIGHLIGHTS

जॉर्ज फ्लॉयड ( African-American George Floyd ) के शव को ह्यूस्टन ( Houston ) के एक चर्च में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया।
46 वर्षीय फ्लॉयड के शव को अंतिम संस्कार ( Funeral ) के लिए शनिवार रात ह्यूस्टन लाया गया था।

George Floyd

Mass gathering to pay tribute to George Floyd

ह्यूस्टन। अफ्रीकी-अमरीकी अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड ( African-American George Floyd ) के शव को ह्यूस्टन ( Houston ) के एक चर्च में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। इस दौरान श्रद्धांजलि ( tribute ) देने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। करीब पांच हजार लोगों ने जॉर्ज को मास्क और ग्लव्स पहनकर श्रद्धांजलि दी।

46 वर्षीय फ्लॉयड के शव को अंतिम संस्कार के लिए शनिवार रात ह्यूस्टन लाया गया था। इसके बाद सोमवार को फाउंटेन ऑफ प्रेज चर्च में शव को एक सुनहरे रंग के खुले ताबूत में रखा गया ताकि लोग उनको श्रद्धांजलि दे सके। इस दौरान कई शहरों से हजारों की संख्या में लोग श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

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जॉर्ज फ्लॉयड के शव को ह्यूस्टन मेमोरियल गार्डेस कब्रिस्तान में दफनाया जाएगा। यहीं पर उनकी मां लारेंसी फ्लॉयड की भी कब्र है। लारेंसी की कब्र के समीप ही उनके शव को दफनाया जाएगा। फ्लॉयड का बचपन ह्यूस्टन के थर्ड वार्ड में हुआ था और वह अपने स्कूल का प्रसिद्ध फुटबॉल खिलाड़ी ( Football Player ) था जिसने स्थानीय लोकप्रिय डीजी स्क्रू के साथ रैप भी किया था।

America

अफसरों ने अश्वेतों के धोए पैर

आपको बता दें कि जॉज की मौत के बाद अमरीका के 140 से अधिक शहरों में नस्लभेद के खिलाफ भड़की हिंसा के बीच नॉर्थ कैरोलिना से समानता और एकता प्रकट करने वाली एक खूबसूरत तस्वीर सामने आई है। दरअसल, कैरोलिना में प्रदर्शन के लिए आए अश्वेत लोगों और धर्म गुरुओं के पैर पुलिस अफसरों ने धोए।

पुलिस अफसर गुस्साए अश्वेतों और धर्मगरुओं के पैर धोकर ये संदेश देना चाहते थे कि सभी इंसान बराबर हैं, क्योंकि जीसस क्राइस्ट ( Jesus Christ ) ने भी अपने चेलों के पैर धोकर यही संदेश दिया था। इससे पहले पोप फ्रांसिस ने भी एक जेल में जाकर सजा काट रहे लोगों के पैर धोए थे।

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आपको बता दें कि जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद से अमरीका के दर्जनों शहरों में प्रदर्शन के बीच दुनिया के कई देशों भी नस्लवाद के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, स्पेन, इटली, ऑस्ट्रेलिया, जापान, डेनमार्क, नीदरलैंड्स, फिनलैंड और प्रेटोरिया में हजारों लोग विरोध जताने सड़कों पर उतरे।

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