नासा के अनुसार 26 सितंबर को क्रैश साइट की एक तस्वीर जारी की गई थी और विक्रम लैंडर के सिग्नल्स की खोज के लिए लोगों को बुलाया गया था। नासा ने आगे बताया कि चेन्नई के 33 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियर शनमुगा सुब्रमण्यन ही पहले वो शख्स हैं, जिन्होंने मलबे की पहचान की।’
नासा ने बताया कि शनमुगा सुब्रमण्यन ने ही हमारे LRO प्रोजेक्ट से संपर्क किया। उन्होंने क्रैश साइट के उत्तर-पश्चिम में लगभग 750 मीटर की दूरी पर स्थित मलबे को पहचाना था। यह पहले मोजेक (1.3 मीटर पिक्सल, 84 डिग्री घटना कोण) में एक एकल उज्ज्वल पिक्सल पहचान थी।’
शनमुगा सुब्रमण्यन उर्फ शान ने बताया कि नासा ने 14 -15 अक्टूबर और 11 नवंबर को 2 तस्वीरें जारी की थीं। उन्होंने अपने लैपटॉप पर 2 तस्वीरों की तुलना की। एक तरफ विक्रम लैंडर की पुरानी तस्वीर थी, दूसरी ओर नई फोटो थी, जो नासा ने जारी की थी। उन्हें ट्विटर और रेडिट यूजर्स से काफी मदद मिली। उन्होंने कहा कि ये बहुत कठिन था लेकिन वह कोशिश करते रहे।
नतीजे पर पहुंचने के बाद उन्होंने 23 अक्टूबर को ट्विटर पर इसका ऐलान किया। इससे पहले नासा 100 फीसदी आश्वस्त होना चाहता था, इसलिए ये जानकारी देने से पहले इंतजार किया गया। इस दौरान नासा ने खुद सच्चाई को जांचना चाहा। पूरी तरह से आशवस्त होने के बाद 3 दिसंबर को नासा ने ट्वीट करके विक्रम लैंडर का मलबा मिलने की जानकारी दी। साथ ही शनमुगा सुब्रमण्यन को इसका क्रेडिट भी दिया।