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Microsoft का दावा: रूस, चीन और ईरानी हैकरों के निशाने पर अमरीकी चुनाव

locationनई दिल्लीPublished: Sep 13, 2020 04:07:52 pm

Submitted by:

Mohit Saxena

Highlights

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और विपक्ष में खड़े जो बिडेन दोनों के चुनाव प्रचार पर हैकरों की नजर में है।
रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े 200 से ज्यादा विभिन्न संगठनों पर निशाना साधा है।

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अमरीकी चुनाव को प्रभावित कर रहे हैं हैकर।

वाशिंगटन। दिग्गज कंपनी माइक्रोसॉफ्ट का दावा है कि रूस, चीन और ईरान के निशाने पर इस समय अमरीकी चुनाव है। उसका कहना है कि ये देश जासूसी का प्रयास कर रहे हैं। कंपनी के अनुसार 2016 भी इन देशों ने राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के चुनाव प्रचार को प्रभावित करने का प्रयास किया था। इसमें रूसी हैकरों का हाथ होने बताया गया है।
माइक्रोसॉफ्ट का कहना है कि विदेशी समूह इस बार भी चुनाव को निशाना बनाने के लिए अपनी सक्रियता बढ़ाई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विपक्ष में खड़े जो बिडेन दोनों के चुनाव प्रचार पर हैकरों की नजर में है।
200 संगठनों को निशाना बनाया

कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा कि स्ट्रॉन्टियम समूह से संबंधित रूसी हैकरों ने रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े 200 से ज्यादा विभिन्न संगठनों पर निशाना साधा है। स्ट्रॉन्टियम समूह को साइबर हमला करने वाली एक यूनिट कहा जाता है। माइक्रोसॉफ्ट के उपाध्यक्ष टॉम बर्ट के अनुसार जिस तरह से 2016 में देखा गया, उसी तरह से इस बार भी उससे मिलता-जुलते मैसेज अकाउंट को हैक करने के लिए उपयोग में लाए जा रहे हैं।
साइबर हमले नाकाम

कंपनी के अनुसार चीनी हैकरों ने जो बिडेन के चुनावी प्रचार से जुड़े लोगों को व्यक्तिगत तौर पर निशाना बनाने की कोशिश की है। वहीं ईरानी हैकर ट्रंप चुनाव प्रचार से जुड़े लोगों को निशाना बना रहे हैं। हालांकि कंपनी का मानना है कि ज्यादातर साइबर हमले अभी तक कामयाब नहीं हो सके हैं। हैकरों ने मतदान कराने वाले अधिकारियों को निशाना नहीं बनाया है।
सक्रिय हुए समूह

माइक्रोसॉफ्ट के अनुसार चीनी हैकरों ने बिडेन के प्रचार से जुड़े लोगों के निजी ई-मेल अकाउंट पर हमला किया है। वहीं ट्रंप प्रशासन से संबंध रखने वाले पूर्व प्रमुख अधिकारियों को भी नही छोड़ा है। वहीं जिरकोनियम के नाम से मशहूर चीनी हैकरों ने अंतरराष्ट्रीय मुद्दों और संस्थाओं को साधने की कोशिश की है। कंपनी अभी तक तय नहीं कर पा रही है कि आखिर रूस, चीनी और ईरानी हैकरों का मकसद क्या है।

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