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ब्रिटिश संसद में दिल्ली हिंसा की गूंज, सांसदों ने की मोदी सरकार की आलोचना

HIGHLIGHTS:

ब्रिटिश सांसदों ने दिल्ली हिंसा को लेकर आवाज उठाई और मोदी सरकार की आलोचना की
ब्रिटिश सिख सांसद तनमनजीत सिंह और प्रीत गिल कौर ने दिल्ली हिंसा पर सवाल खड़े किए
ब्रिटिश सरकार ने कहा उन्हें यकीन है कि भारत सरकार सभी धर्मों का ध्यान रखेगी

नई दिल्लीMar 06, 2020 / 08:42 am

Anil Kumar

MPs criticized Modi government for Delhi violence in British Parliament

लंदन। नागरिकता संशोधन कानून ( CAA ) और एनआरसी के खिलाफ बीते दिनों राजधानी दिल्ली में जिस तरह से हिंसा को अंजाम दिया गया, उसके जख्म लोगों के दिलों पर कई दशकों तक रहेंगे। दिल्ली हिंसा ( Delhi Violence ) को लेकर देशभर में जहां रोष देखने को मिला और विपक्षी दलों ने मोदी सरकार को घेरा, वहीं विदेशों में भी इसको लेकर मोदी सरकार की आलोचना की गई है।

इसी कड़ी में दिल्ली हिंसा की गूंज ब्रिटिश संसद ( British Parliament ) में भी सुनाई दी। ब्रिटिश सांसदों ने दिल्ली हिंसा को लेकर आवाज उठाई और मोदी सरकार की आलोचना की। कुछ सांसदों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अपनी चिंता जाहिर की है और इस संबंध में सांसदों ने विदेश मंत्रालय से भारत सरकार के साथ हुई बातचीत की जानकारी भी मांगी है।

ब्रिटिश सांसदों ने जताई नाराजगी

ब्रिटिश सिख सांसद तनमनजीत सिंह और प्रीत गिल कौर ने दिल्ली हिंसा पर सवाल खड़े किए। इस दौरान तनमनजीत ने कहा कि हाल में दिल्ली में हुए हिंसा ने पुरानी यादों को ताजा कर दिया है।

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उन्होंने कहा कि जब मैं दिल्ली में पढ़ रहा था तो एक अल्पसंख्यक के तौर पर 1984 के सिख नरसंहार का गवाह रहा हूं। हमें इतिहास से जरूर सीखना चाहिए और वैसे लोगों के बहकावे में कभी नहीं आना चाहिए जो समाज को तोड़ने या बांटने का इरादा रखतों हों। धर्म की आड़ में लोगों को मारना चाहते हैं और धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।

सांसद तनमनजीत सिंह ने कहा कि मैं स्पीकर से पूछना चाहता हूं कि भारतीय मुसलमानों के खिलाफ भारत में जो भी घटनाएं हो रही है उसको लेकर भारतीय समकक्ष को उन्होंने क्या संदेश दिया है अब तक?

दिल्ली हिंसा पर यूके सरकार क्या कर रही है: खालिद हममूद

जहां एक ओर तनमनजीत सिंह ने मुखर होकर अपनी बात रखी, वहीं एडबैस्टन से लेबर पार्टी की सांसद प्रीत गिल कौर ने पूछा ब्रिटिश सरकार पर जमकर हमला बोला और एक के बाद एक ताबड़तोड़ कई सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि क्या मंत्री यह बता सकते हैं कि भारत में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए वह क्या कदम उठा रहे हैं।

इसके अलावा लेबर पार्टी के ही सांसद खालिद महमूद ने कहा कि दिल्ली में हुए दंगों को लेकर यूके की सरकार क्या कर रही है। महमूद ने ब्रिटिश संसद को चेताया कि यदि नागरिकता संशोधन कानून ( CAA ) के बाद नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स ( NRC ) आया तो भारत में मुस्लिमों को प्रत्यर्पित किए जाने से पहले यातना कैंप में रखा जाएगा।

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बता दें कि दिल्ली हिंसा पर सिर्फ लेबर पार्टी ही नहीं बल्कि कंजरवेटिव पार्टी के सांसद पॉल ब्रिस्टो और स्कॉटिश नेशनल पार्टी के सांसद टॉमी शेपर्ड ने भी सरकार से अपने रुख को स्पष्ट करने को कहा।

ब्रिटिश सरकार ने जताई चिंता

आपको बता दें कि कई ब्रिटिश सांसदों की ओर से उठाए गए सवालों को लेकर फॉरेन ऐंड कॉमनवेल्थ ऑफिस (विदेश मंत्रालय) के मंत्री नाइजेल एडम्स ने जवाब दिए। उन्होंने कहा कि माननीय सदस्यों ने अपने निजी अनुभव से बहुत ही प्रभावशाली तरीके से अपनी बात रखी है और ये बहुत जरूरी है कि हम अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं।

एडम्स ने कहा कि नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग और भारत में हमारे कूटनीतिक चैनल दिल्ली हिंसा और नागरिकता कानून से जुड़े घटनाक्रमों पर करीबी से नजर बनाए हुए है। फिलहाल वे सभी पक्षों से संयम बरते की अपील करते हैं और उन्हें यकीन है कि भारत सरकार सभी धर्मों के लोगों की चिंताओं का निदान करेगी।

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