ये सम्मेलन का तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने बुलाया था। तुर्की अमरीका के नाटो का सदस्य देश है। बावजूद इसके यरुशलम के मुद्दे पर एर्दोगन ने अमरीका की कड़ी आलोचना की है। शिखर सम्मेलन के लिए तैयार किए गए घोषणा पत्र के मसौदे में कहा गया है, ’50 से अधिक मुस्लिम देशों के नेताओं, मंत्रियों और अधिकारियों ने पूर्वी यरुशलम को फलस्तीन की राजधानी घोषित किया है।
दूसरे देशों को मान्यता देने को कहा
सम्मेलन में नेताओं ने दुनिया के अन्य देशों को पूर्वी यरूशलम को फलस्तीन की राजधानी के रूम में मान्यता देने की अपील की। तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुट कावुसोगू ने मसौदे के घोषणा पत्र की एक प्रति ट्विटर पर शेयर की है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘बैठक में अमरीका के फैसले को खारिज करते हुए कड़े शब्दों में उसकी निंदा की गई है।’ इसमें बताया गया है कि अमरीका का फैसला सभी शांति प्रयासों को कमजोर, चरमपंथ व आतंकवाद को बढ़ावा तथा अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरे को बढ़ावा देने वाला जानबूझकर उठाया गया कदम है।’
बता दें, हाल ही में अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यरुशलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता दी थी। दुनिया भर के मुस्लिम देशों ने ट्रंप के इस फैसले का विरोध किया था। स्वयं पोप भी ट्रंप के इस फैसले से सहमत नहीं थे। दुनिया के कई मुस्लिम देशों ने ट्रंप के निर्णय के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन भी किए।