दरअसल, नासा में इस सप्ताह एक 17 वर्षीय किशोर वुल्फ ककियर इंटर्नशिप के लिए पहुंचा। हाईस्कूल के छात्र ककियर ने इंटर्नशिप के तीसरे ही दिन एक बड़ा कारनामा कर डाला। ककियर ने एक नए ग्रह की खोज की जो दो सूर्य के चक्कर लगा रहा था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस संबंध में ककियर ने कहा, “मैं उन सभी चीजों के लिए डाटा देख रहा था जिन्हें वॉलंटियर्स ने एक ग्रहण रूपी बाइनरी के रूप में चिह्नित किया था, यह एक प्रणाली होती है जहां दो तारे एक-दूसरे के चारों ओर घूमते हैं और हमारे दृश्य एक-दूसरे की कक्षा में घूमते हैं।”
उसने आगे बताया, “मेरी इंटर्नशिप के तीसरे दिन मैंने मैंने TOI 1338 नामक एक सिस्टम से एक सिग्नल देखा। पहले मुझे लगा कि यह एक नक्षत्रीय ग्रहण है, लेकिन इसका वक्त गलत था। हालांकि यह एक ग्रह निकला।”
इस प्रणाली के संबंध में पृथ्वी से लगभग 1,300 प्रकाश वर्ष दूर नए ग्रह का नाम ‘TOI 1338 b’ रखा गया। यह ग्रह पृथ्वी के आकार का 6.9 गुना बड़ा है और आकार में यह नेप्च्यून और शनि के बीच कहीं रखा जा सकता है।
दोनों सितारे हर 15 दिनों में एक-दूसरे की परिक्रमा करते हैं। इनमें से एक ग्रह हमारे सूर्य से लगभग 10 फीसदी अधिक बड़ा है, जबकि दूसरा ठंडा, मंद और सूर्य के द्रव्यमान का केवल एक-तिहाई है।
अपने मूल सितारों पर धुंधलेपन की वजह से TOI 1338 b की पहचान करने के बाद ककियर समेत रिसर्च टीम ने एलेनोर नामक एक सॉफ्टवेयर पैकेज का उपयोग किया। शिकागो विश्वविद्यालय की स्नातक छात्रा और इस अध्ययन की सह-लेखिका एडिना फीइंस्टीन ने कहा कि सभी तस्वीरों के बीच TESS लाखों सितारों पर निगरानी रख रहा है।
हालांकि इसके परिणाम का अध्ययन अब प्रकाशित किया गया है, लेकिन वास्तविक खोज पिछली गर्मियों में हुई थी। हम निश्चित रूप से तो नहीं जानते हैं, लेकिन शायद वुल्फ का इस साल फिर से यहां स्वागत किया जाएगा ताकि वह नए ग्रहों का फिर से शिकार कर सके।