विक्रम लैंडर मसले की होगी जांच, राष्ट्रीय स्तर की समिति का गठनः के सिवन दृश्य को एक लूनर रीकॉइनसेंस ऑर्बिटर कैमरा से कैप्चर किया गया था। विक्रम ने सात सितंबर को लैंड किया था। यह कार्यक्रम चंद्रमा पर नरम लैंडिंग का भारत का पहला प्रयास था। अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, तस्वीर यह स्थल दक्षिणी ध्रुव से लगभग 600 किलोमीटर दूर स्थित था।
LRO ने 17 सितंबर को लैंडिंग साइट की छवियों का एक सेट हासिल कर लिया। अब तक एलआरओसी टीम लैंडर का पता लगाने या उसकी छवि बनाने में सक्षम नहीं है। ई-कॉमर्स के जरिए गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट लूनर रिकॉनिंस ऑर्बिटर मिशन,जॉन केलर के अनुसार एलआरओ 14 अक्टूबर को लैंडिंग साइट पर उड़ान भरेगा जब लाइटिंग की स्थिति और अधिक अनुकूल होगी।
17 सितंबर को ली तस्वीर में चंद्र के अधिकांश क्षेत्र में छाया देखी गई। नासा ने कहा कि लाइटिंग तब अनुकूल होगी जब एलआरओ अक्टूबर में साइट से गुजरेगा और एक बार फिर लैंडर का पता लगाने और उसकी छवि बनाने का प्रयास करेगा।गौरतलब है कि इसरो ने चंद्रयान -2 के साथ विक्रम नाम के लैंडर को भेजा था, चंद्रमा की धरती को छूने से पहले ही इसका भी इसरो से संपर्क टूट गया। इसे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरना था। मगर वह कामयाब नहीं हो सका। नासा के लूनर रीकॉन्सेन्स ऑर्बिटर ने इस सप्ताह उस जगह से उड़ान भरी थी,जहां पर लैंडर विक्रम के होने की संभावना थी। सूरज की रोशनी कम होने और लंबी छाया होने की वजह से विक्रम साफ तौर पर नहीं दिख पाया। इसके बाद नासा ने वहां की तस्वीरें खींची हैं।