सबसे बड़ी बात ये है कि पानी की यह खोज ( Water Discovered On Moon Surface ) ऐसे जगह पर की गई है, जहां सूरज की किरणें पड़ती है। यानी कि अब इससे जीवन की संभावनाओं को और अधिक बल मिला है और भविष्य में चंद्रमा पर इंसानों के रहने की सोच भी पूरी हो सकती है। क्योंकि जीवन के लिए हवा और पानी सबसे जरूरी चीज है।
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इस खोज के बाद से अब अंतरिक्ष मिशन में वैज्ञानिकों को बड़ा सहयोग हो सकेगा। पीने के लिए पानी और रॉकेट ईंधन उत्पादन के लिए इसका उपयोग किया जा सकेगा। बता दें कि चंद्रमा की सतह पर पानी की यह खोज नासा की स्ट्रेटोस्फियर ऑब्जरवेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (सोफिया) ने की है।
सोफिया ने चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित क्लेवियस क्रेटर में पानी के अणुओं (H2O) की खोज की है। क्लेवियस क्रेटर पृथ्वी से दिखाई देने वाला चंद्रमा के सबसे बड़े गड्ढों में से एक है।
चंद्रमा पर पहले भी मिले हैं पानी के संकेत
आपको बता दें कि इससे पहले भी चंद्रमा की सतह पर पानी के संकेत मिले हैं। पहले के हुए अध्ययनों चंद्रमा की सतह पर हाइड्रोजन का पता चला था, लेकिन हाइड्रोक्सिल का पता नहीं चल सका था और पानी के लिए यह हाइड्रोजन का करीबी रिश्तेदार है।
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नेचर एस्ट्रोनॉमी में हाल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, चांद की सतह पर अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान में मौजूद पानी की तुलना में 100 गुना कम है। अध्ययन में 100 से 412 पार्ट प्रति मिलियन की सांद्रता में पानी के बारे में पता चला है।