भूकंप (Earthquake) का केन्द्र गिसबोर्न शहर से 700 किलोमीटर पूवोर्त्तर में नार्थ आइलैंड के पूर्वी तट में सतह से 33 किलोमीटर की गहराई पर आया था। पुलिस के एक प्रवक्ता के अनुसार भूकंप के कारण जानमाल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है। राष्ट्रीय आपातकालीन प्रबंधन एजेंसी के अनुसार भूकंप के बाद न्यूजीलैंड के लिए सुनामी को अलर्ट नहीं जारी किया गया है।
बीते दो महीने से अब तक दिल्ली-एनसीआर में आठ बार भूकंप आ चुके हैं। वहीं बीते मंगलवार को जम्मू-कश्मीर में सुबह जो भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। इसका केंद्र तजाकिस्तान बताया जा रहा है। राजधानी दुशान्बे से 341 किमी पूर्व-दक्षिणपूर्व में स्थित ये भूकंप आया था। इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.8 मापी गई। दुनिया भर में लगातार भूकंप आने की संख्या में तेजी दर्ज की गई है।
दुनिया का सबसे तेज भूकंप अब तक का सबसे बड़ा भूकंप चिली में 22 मई 1960 में आया था। इसने रिकॉर्ड कायम किया है। इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर यह 9.5 दर्ज की गई थी। चिली के बाद दूसरा सबसे बड़ा भूकंप 28 मार्च 1964 में अमरीका में आया था और इसकी तीव्रता 9.2 थी। विशेषज्ञों के अनुसार, भूकंप की असली वजह टेक्टोनिक प्लेटों में तेजी से रगड़ खाना बताया जाता है। इसके अलावा उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग की वजह से भी भूकंप आते हैं।
बीते दिनों इंडोनेशिया में आया था भूकंप इंडोनेशिया में भी सबसे अधिक भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। बीते दिनों यहां पर 5.8 तीव्रती का भूकंप महसूस किया गया। इंडोनेशिया का इलाका ‘रिंग ऑफ फायर’ (ring of Fire) में आता है। प्रशांत महासागर के किनारे-किनारे स्थित यह इलाका दुनिया का सबसे खतरनाक भू-भाग है। इंडोनेशिया एक एक्टिव भूकंप जोन में स्थित है। यही कारण है कि यहां पर इतने ज्यादा भूकंप आते हैं।
इंडोनेशिया प्रशांत महासागर में मौजूद ‘रिंग ऑफ फायर’ का पार्ट है। ‘रिंग ऑफ फायर’ प्रशांत महासागर के बेसिन का इलाका है। जहां पर कई ज्वालामुखी फटते रहते हैं। इसके कारण यहां पर तगड़े भूकंप के झटके आते हैं। भूकंप के कारण ही समुद्र में सुनामी का खतरा बना रहता है। यह रिंग ऑफ फायर का इलाका करीब 40 हज़ार किमी के दायरे में फैला है। यहां पर विश्व पर 75 फीसदी सक्रिय ज्वालामुखी हैं।