ट्रिनिडाड में हुआ था जन्म
विद्याधर सूरज प्रसाद नायपॉल का जन्म 17 अगस्त, 1932 को ट्रिनिडाड के चगवानस में हुआ था। त्रिनिडाड में पले-बढ़े नायपॉल ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्याल से पढ़ाई की थी। अपनी उपलब्धियों व रचनाधर्मिता के बल पर दुनिया दुनिया भर में ख्याति हासिल की। ए बेंड इन द रिवर और अ हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास उनकी चर्चित कृतियां हैं जो दुनिया भर में लोक्रप्रिय हुईं। नायपॉल के पूर्वज भारत से ट्रिनिडाड गए थे और बाद में वहीं बस गए। उन्होंने दुनिया के अनेक देशों की कई यात्राएं की। कई मौके ऐसे भी आए जब वह विवादों में घिर गए।
विद्याधर सूरज प्रसाद नायपॉल का जन्म 17 अगस्त, 1932 को ट्रिनिडाड के चगवानस में हुआ था। त्रिनिडाड में पले-बढ़े नायपॉल ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्याल से पढ़ाई की थी। अपनी उपलब्धियों व रचनाधर्मिता के बल पर दुनिया दुनिया भर में ख्याति हासिल की। ए बेंड इन द रिवर और अ हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास उनकी चर्चित कृतियां हैं जो दुनिया भर में लोक्रप्रिय हुईं। नायपॉल के पूर्वज भारत से ट्रिनिडाड गए थे और बाद में वहीं बस गए। उन्होंने दुनिया के अनेक देशों की कई यात्राएं की। कई मौके ऐसे भी आए जब वह विवादों में घिर गए।
2001 में मिला था नोबेल सम्मान
नायपॉल को 1971 में बुकर सम्मान और साल 2001 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी ने बताया कि उन्होंने रचनात्मकता और उद्यम से भरी जिंदगी जी। आखिरी वक्त में वे तमाम लोग जिन्हें वह प्यार करते थे, उनके साथ थे। नायपॉल ने अपने साहित्य जीवन में 30 से ज्यादा किताबों का लेखन किया था। इनमें से ज्यादातर किताबें चर्चित हुईं।
नायपॉल को 1971 में बुकर सम्मान और साल 2001 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी ने बताया कि उन्होंने रचनात्मकता और उद्यम से भरी जिंदगी जी। आखिरी वक्त में वे तमाम लोग जिन्हें वह प्यार करते थे, उनके साथ थे। नायपॉल ने अपने साहित्य जीवन में 30 से ज्यादा किताबों का लेखन किया था। इनमें से ज्यादातर किताबें चर्चित हुईं।
क्रांतिकारी विचारों के समर्थक
नायपॉल अपनी कलम के दम पर पूरी दुनिया को झकझोर देने का माद्दा रखने वाले नायपॉल की गिनती लेखकों की पहली कतार में की जाती है। उन्होंने लेखन के क्षेत्र में बहुत नाम कमाया। उन्हें बुकर पुरस्कार और साहित्य का नोबुल पुरस्कार भी मिला। उनकी कृतियों में उनके क्रांतिकारी विचारों की झलक मिलती है। उन्होंने अपने लेखन में हमेशा से नवीन विचारों व समाज में फैली बुराईयों का प्रबलता पूर्वक विरोध करते नजर आते हैं। यही कारण है कि उन्हें क्रांतिकारी लेखकों की श्रेणी में रखा गया।
नायपॉल अपनी कलम के दम पर पूरी दुनिया को झकझोर देने का माद्दा रखने वाले नायपॉल की गिनती लेखकों की पहली कतार में की जाती है। उन्होंने लेखन के क्षेत्र में बहुत नाम कमाया। उन्हें बुकर पुरस्कार और साहित्य का नोबुल पुरस्कार भी मिला। उनकी कृतियों में उनके क्रांतिकारी विचारों की झलक मिलती है। उन्होंने अपने लेखन में हमेशा से नवीन विचारों व समाज में फैली बुराईयों का प्रबलता पूर्वक विरोध करते नजर आते हैं। यही कारण है कि उन्हें क्रांतिकारी लेखकों की श्रेणी में रखा गया।