काफी परेशानी महसूस कर रहे योम्युरी शिमबुन नाम के अखबार के मुताबिक, किम ने शी से कहा, हम आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से काफी परेशानी महसूस कर रहे हैं। अब जब हमने अमेरिका-उत्तर कोरिया के बीच बैठक को सफल बनाया है, तो मैं चाहता हूं कि चीन प्रतिबंधों को जल्द हटवाने में मदद करे। चीन उत्तर कोरिया का सबसे बड़ा सहयोगी है। हाल के महीनों में शीतयुद्ध काल से सहयोगी रहे चीन और उत्तर कोरिया ने रिश्तों में आए तनाव को कम करने की कोशिश की है।
मार्च में किम ने पहली बार शी से मुलाकात की चीन ने बीते साल यह संकेत दिए थे कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्योंगयांग के खिलाफ लगाए प्रतिबंधों में ढील दे सकता है। ऐसा भी माना जाता है कि किम ने चीन का तीसरा दौरा इसलिए किया था ताकि वह शी को आश्वस्त कर सकें कि वॉशिंगटन के साथ बैठक के बाद भी वह चीन के हितों को कभी नजरअंदाज नहीं करेगा। दरअसल चीन को को यह चिंता सता रही है कि वॉशिंगटन और प्योंगयांग एक-दूसरे के करीब आ सकते हैं, जिससे उसकी सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को खतरा हो सकता है। गौरतलब है कि उत्तर कोरिया पर लंबे समय से लगे प्रतिबंध के कारण उसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। कोरिया को ज्यादातर जरूरी चीजे चीन मुहैया कराता है। अमरीका ने अभी तक किसी तरह का कोई राहत का संदेश नहीं दिया है। वह उत्तर कोरिया में पूरी तरह से परमाणु निरस्त्रीकरण के सबूत चाहता है। ऐसे में उत्तर कोरिया की हालाता दिन पर दिन खराब होती जा रही है।