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चीन ने फिर लगाया भारत की राह में अड़ंगा, कहा- NSG में आना है तो पहले NPT पर साइन करना होगा

locationनई दिल्लीPublished: Jun 22, 2019 08:04:21 am

NSG में प्रवेश को लेकर भारत की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है। चीन ने कहा है कि गैर NPT सदस्यों के लिए ‘विशेष निर्धारित प्रक्रियाओं’ का पालन होना चाहिए।

China's spokes person

बीजिंग। चीन ने एक बार फिर भारत की राह में अड़ंगा लगाते हुए एनएसजी ( Nuclear suppliers group ) में प्रवेश की कोशिशों पर ब्रेक लगाया है। चीन ने गैर एनपीटी ( NPT ) देश होने के कारण ‘किसी विशिष्ट योजना’ के बिना एनएसजी में भारत के प्रवेश पर रोक लगा दी है। चीन इस बात पर जोर दे रहा है कि जिन देशों ने एनपीटी पर हस्ताक्षर किए हैं उन्हें ही संगठन में प्रवेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए। बता दें कि एनएसजी एक 48 सदस्यीय समूह है जो वैश्विक परमाणु व्यापार को नियंत्रित करता है।

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चीन ने फिर लगाया अड़ंगा

चीन ने शुक्रवार को कहा कि इस समूह में गैर-एनपीटी सदस्यों की भागीदारी पर एक विशिष्ट योजना बनाई जाए। तब तक परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश पर कोई चर्चा नहीं होगी। भारत ने मई 2016 में NSG की सदस्यता के लिए आवेदन किया है, और तबसे चीन जोर देकर कहता आ रहा है कि केवल जिन देशों ने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर किए हैं, उन्हें ही इस संगठन में प्रवेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

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चीन ने साफ़ संकेत दिया कि वह भारत को एनएसजी में प्रवेश करने से रोकना जारी रखेगा। असल में भारत और पाकिस्तान NPT के हस्ताक्षरकर्ता नहीं हैं। भारत के आवेदन के बाद पाकिस्तान ने भी 2016 में एनएसजी की सदस्यता के लिए आवेदन किया था। इस बारे में किए सवालों के जवाब में कि क्या एनएसजी में भारत की प्रविष्टि पर चीन के रुख में कोई बदलाव है, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने एक मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि समूह उन देशों के प्रवेश पर चर्चा नहीं करेगा, जिन्होंने एनटीपी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

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अस्ताना में एनएसजी की बैठक

आपको बता दें कि एनएसजी की बैठक जो 20-21 जून को कजाकिस्तान के अस्ताना में हुई। भारत के प्रवेश पर रोक लगाते हुए चीन ने दो-चरणीय योजना का आह्वान किया है जो एनएसजी में प्रवेश के लिए गैर एनटीपी राज्यों के लिए कुछ विशिष्ट नियमों और सिद्धांतों को निर्धारित करेगा। चीन का रुख है कि एनएसजी में प्रवेश पाने के लिए भारत को एनपीटी पर हस्ताक्षर करना चाहिए। चीन के प्रवक्ता ने साफ़ किया कि बीजिंग नई दिल्ली के प्रवेश को एनएसजी में रोक नहीं रहा है लेकिन उसका मानना है कि इस बारे में सब कुछ एनएसजी के नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार किया जाना चाहिए।

क्या है एनएसजी (NSG)?

परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह यानी एनएसजी (Nuclear Suppliers Group) बहुत से देशों का एक समूह है जो परमाणु निरस्त्रीकरण (nuclear disarmament) के लिये प्रयासरत है।

एनएसजी की स्थापना सन 1975 में हुई जब भारत ने स्माइलिंग बुद्धा नामक परमाणु परीक्षण किया। मई 1974 में भारत ने जब अपना परमाणु परीक्षण किया तो इसके जवाब में इस समूह का गठन किया गया और इनकी पहली बैठक May 1975 में हुई।

एनएसजी 48 देशों का एक समूह है जो सदस्य देशों के साथ असैन्य कार्यों के लिये परमाणु सामग्री, परमाणु तकनीक के इस्तेमाल को सुनिश्चित करता है।

यह समूह ऐसे परमाणु उपकरण, सामग्री और तनवीक के निर्यात पर रोक लगाता है जिसका प्रयोग परमाणु हथियार बनाने में होना है और इस प्रकार यह परमाणु प्रसार को रोकता है।

एनएसजी का कोई स्थाई कार्यालय नहीं है। एनएसजी आमतौर पर र्वाषिक बैठक करता है। सभी मामलों में फैसला सर्वसम्मित के आधार पर होता है।

वर्तमान समय में अर्जेंटिना, ऑस्ट्रेलिया, आस्ट्रिया, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्वीडन, स्वटि्जरलैंड, तुर्की, यूक्रेन, अमरीका, बेलारूस, बेल्जियम, ब्राजील, ब्रिटेन, बुल्गारिया, कनाडा, चीन, क्रोएशिया, साइप्रस, चेक गणराज्य, डेनमार्क, इस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, यूनान, हंगरी, आयरलैंड, इटली, जापान, कजाकिस्तान, लातिवया, लिथुआनिया, लक्ज़मबर्ग, माल्टा, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नार्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, रूस, स्लिवाकोया और स्लोवेनिया इसके सदस्य देश हैं।

क्या है एनपीटी (NPT)?

परमाणु अप्रसार संधि (Non Proliferation Treaty) को एनपीटी के नाम से जाना जाता है। इसका उद्देश्य विश्व भर में परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना और परमाणु परीक्षण पर अंकुश लगाना है।

1 जुलाई 1968 से इस समझौते पर हस्ताक्षर होना शुरू हुआ। मौजूदा समय में इस संधि पर 190 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं।

जिन पांच देशों (अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन) के पास आण्विक हथियार हैं वे भी इस ट्रीटी में शामिल हैं। लेकिन सिर्फ पांच संप्रभुता संपन्न देश (भारत, इजरायल, पाकिस्तान, दक्षिण सुडान और उत्तर कोरिया) इसके सदस्य नहीं हैं।

एनटीपी संधि का प्रस्ताव आयरलैंड ने रखा था और फिनलैंड सबसे पहले हस्ताक्षर करने वाला राष्ट्र है। इस संधि के तहत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र उसे ही माना गया है जिसने 1 जनवरी 1967 से पहले परमाणु हथियारों का निर्माण और परीक्षण कर लिया हो।

भारत को इस आधार पर ही यह दर्जा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नहीं प्राप्त है। क्योंकि भारत ने पहला परमाणु परीक्षण 1974 में किया था।

 

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