2015 में हुआ था करार
आपको बता दें कि बराक ओबामा के कार्यकाल में 2015 में ही ईरान सहित छह देशों से परमाणु करार पर समझौता हुआ था। करार करने वाले देशों में अमरीका, ईरान, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी का नाम शामिल है। ट्रंप के फैसले से उसके सहयोगी राष्ट्र ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने भी निराशा जताई है। साफ है कि ट्रंप को इस मामले में सहयोगी राष्ट्र के विचारों का भी ख्याल रखना चाहिए था जो उन्होंने नहीं रखा। जुलाई 2015 में ईरान और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों और जर्मनी तथा यूरोपीय संघ के बीच वियना में ईरान परमाणु समझौता हुआ था। अब ट्रंप के फैसले का दुनियाभर में प्रभाव होगा। इससे ईरान की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी और पश्चिमी एशिया में तनाव बढे़गा।
आपको बता दें कि बराक ओबामा के कार्यकाल में 2015 में ही ईरान सहित छह देशों से परमाणु करार पर समझौता हुआ था। करार करने वाले देशों में अमरीका, ईरान, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी का नाम शामिल है। ट्रंप के फैसले से उसके सहयोगी राष्ट्र ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने भी निराशा जताई है। साफ है कि ट्रंप को इस मामले में सहयोगी राष्ट्र के विचारों का भी ख्याल रखना चाहिए था जो उन्होंने नहीं रखा। जुलाई 2015 में ईरान और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों और जर्मनी तथा यूरोपीय संघ के बीच वियना में ईरान परमाणु समझौता हुआ था। अब ट्रंप के फैसले का दुनियाभर में प्रभाव होगा। इससे ईरान की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी और पश्चिमी एशिया में तनाव बढे़गा।
करार को लेकर ट्रंप की राय
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय में हुए करार की डोनाल्ड ट्रंप सख्त विरोधी रहे हैं। वह मानते हैं कि यह करार अमरीकी हितों को दरकिनार कर किया गया। ट्रंप का कहना है कि मेरे लिए यह स्पष्ट है कि हम ईरान के परमाणु बम को नहीं रोक सकते। ईरान समझौता मूल रूप से दोषपूर्ण है। इसलिए, मैं ईरान परमाणु समझौते से अमरीका के हटने की घोषणा कर रहा हूं। ऐसा इसलिए कि यह करार पूरी तरह से अमरीकी हितों के खिलाफ है और यह अमरीकी फर्स्ट की नीतियों के प्रतिकूल भी। इसलिए हम इस करार को और ज्यादा नहीं ढो सकते। ट्रंप ने कहा कि इस समझौते ने ईरान को बड़ी मात्रा में धन दिया और इसे परमाणु हथियार हासिल करने से नहीं रोका।
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय में हुए करार की डोनाल्ड ट्रंप सख्त विरोधी रहे हैं। वह मानते हैं कि यह करार अमरीकी हितों को दरकिनार कर किया गया। ट्रंप का कहना है कि मेरे लिए यह स्पष्ट है कि हम ईरान के परमाणु बम को नहीं रोक सकते। ईरान समझौता मूल रूप से दोषपूर्ण है। इसलिए, मैं ईरान परमाणु समझौते से अमरीका के हटने की घोषणा कर रहा हूं। ऐसा इसलिए कि यह करार पूरी तरह से अमरीकी हितों के खिलाफ है और यह अमरीकी फर्स्ट की नीतियों के प्रतिकूल भी। इसलिए हम इस करार को और ज्यादा नहीं ढो सकते। ट्रंप ने कहा कि इस समझौते ने ईरान को बड़ी मात्रा में धन दिया और इसे परमाणु हथियार हासिल करने से नहीं रोका।