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चौंकाने वाले खुलासेइस रिपोर्ट ने देश भर के सांसदों और विधायकों पर चल रहे आपराधिक मामलों के पड़ताल की है। पड़ताल के दौरान एडीआर ने पाया है कि देश के कुल 4856 जनप्रतिनिधियों में से 1024 सांसदों और विधायकों के खिलाफ अपहरण और हत्या के गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।रिपोर्ट की मानें तो देशभर के 21 प्रतिशत सांसदों और विधायकों के खिलाफ अपहरण जैसे गंभीर अपराध के मामले दर्ज हैं। इस आंकड़े के अनुसार देश का हर 5वां नेता आरोपी है। अपहरण के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश और बिहार में हैं जबकि महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र के सांसदों और विधयकों पर दर्ज हैं।
माननीयों पर सबसे अधिक अपहरण के मामले दर्ज हैं। अपहरण के मामलों में क्षेत्रीय और राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के अलावा कई छोटी-छोटी पार्टियों के नेता भी शामिल हैं। इन पार्टियों में भाजपा, कांग्रेस और राजद समेत डेढ़ दर्जन राजनीतिक दलों के सांसद और विधायक शामिल हैं। इन पार्टियों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, बीजेडी, डीएमके, समाजवादी पार्टी, तेलुगू देशम पार्टी, सीपीआई (एम), जनता दल यूनाइटेड, लोजपा, टीआरएस आदि सभी दलों के नेताओं पर ऐसे आरोपों की भरमार है। यही नहीं, 4 निर्दलीय जनप्रतिनिधियों के खिलाफ भी अपहरण के मामले दर्ज हैं। रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि 1024 जनप्रतिनिधियों में से 64 ने खुद ही अपने अपराधों की घोषणा की है।
एडीआर की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सबसे ज्यादा बिहार और उत्तर प्रदेश के विधायकों के खिलाफ 9-9 विधायकों के ऊपर अपहरण करने का मामला दर्ज किया गया है। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है, जिसके 8 विधायकों के खिलाफ अपहरण के मामले चल रहे हैं।
एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ अपहरण की विभिन्न धाराओं में दर्ज मुकदमों का ब्यौरा भी दिया गया है। इन प्रतिनिधियों को भारतीय दंड संहिता के तहत दर्जनभर से अधिक धाराओं में इमुकदमे दर्ज किए गए हैं। अपहरण, अपहरण के बाद हत्या, महिला का अपहरण कर शादी के लिए मजबूर करने, रंगदारी मांगने और नाबालिगों के खिलाफ अपराधों लिए मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
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भाजपा नम्बर वनकेंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सांसदों और विधायकों के खिलाफ ऐसे सबसे ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। भाजपा के 16 जनप्रतिनिधियों के खिलाफ अपहरण के मामले दर्ज हैं। दूसरे नंबर पर कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) है। इन दोनों पार्टियों के 6-6 जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं।