ये एक तरह का जेनेटिक डिस्ऑर्डर है, जिसके चलते इस्सा के सेल टिश्यू के सामान्य ग्रोथ में बाधा बन रही है। नतीजतन ट्यूमर का वजन अब बीस किलो हो गया, फलस्वरूप इस्सा अभी दिन-रात बिस्तर में ही पड़ा रहता है। हालत इस हद तक खराब है कि बाथरूम तक जाने के लिए भी उसे परिवार के किसी सदस्य के सहारे की जरूरत पड़ती है।
इस्सा के पिता 52 वर्षीय अल्ला दीनो का बेटे की इस हालत पर कहना है कि बचपन से 13 साल साल की उम्र तक इस्सा में इस तरह की बीमारी क ा कोई भी लक्षण नहीं था। पांच साल पहले इस्सा के जांघों में सूजन की शिकयत हुई और देखते ही देखते वहां टेनिस बॉल के आकार जितना एक गोला बन गया। हमने इसे सामान्य सूजन मानकर इसे नजरअंदाज किया जिसके चलते ये बढ़ता चला गया।
आज नतीजा ये है कि घर केे जवान बेटे को हमेशा, हर एक काम के लिए किसी के मदद की जरूरत पड़ती है। साल 2013 में इस्सा का ट्यूमर तेज गति के साथ बढ़ा। आर्थिक परेशानी के कारण इस्सा के परिवारवालें उसका ऑपरेशन कराने में असमर्थ थे। कुछ समय बाद कराची के मेडिकल अफसरों की नजर इस्सा के फेसबुक पेज पर पड़ी। उसके इस हालत को देखते हुए अफसरों ने फ्री सर्जरी की व्यवस्था की।
इस्सा को इस सर्जरी का बहुत बेसब्री से इंतजार है क्योंकि वो इस ऑपरेशन के माध्यम से अपनी जिंदगी को बदलना चाहता है। एक सामान्य इंसान की तरह अपनी जीवन को जीना चाहता है। इस्सा के परिवार वालें भी दुआ मांग रहे हैं कि सबकुछ ठीक हो जाएं और उनका बेटा पूरी तरह से स्वस्थ हो जाए।