ईरान: आर्मी परेड में हथियारों की जगह जवानों के हाथों में दिखा मास्क, कोरोना से लड़ने का दिया संदेश उदाहरण के लिए लेबनान को लें, यहां पर एक नाजुक स्वास्थ्य प्रणाली है और एक बड़ी आबादी। यहां की अर्थव्यवस्था दिवालीया होने की कगार पर है। यहां एक महीने के लॉकडाउन ने हजारों लोगों को गरीबी में झोंक दिया। सरकार पर लॉकडाउन के प्रतिबंधों को ढील देने का दबाव है। मगर चिकित्सा के सीमित संसाधन की वजह से यहां के डॉक्टर कोई जोखिम नहीं लेना नहीं चाहते हैं। उन्होंने सरकार से लॉकडाउन जारी रखने को कहा है। ये हालात कई विकासशील देशों के भी हैं, अगर यहां पर लॉकडाउन में ढील दी जाती है तो यहां पर सीमित मेडिकल सुविधाएं चरमरा जाएंगी और भारी नुकसान होने की संभावना है।
विश्व बैंक में मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के मुख्य अर्थशास्त्री राबाह आरज़की के अनुसार सीरिया, लेबनान, मिस्र आदि देशों में पारदर्शिता की कमी के कारण गलत निर्णय हो सकते हैं। उन्हें चिंता है कि लॉकडाउन में ढील देने पर अधिक नुकसान हो सकता है। यहां तक कि अमीर देशों में भी लॉकडाउन में ढील देने की बात पर सिर्फ विचार किया जा रहा है।
यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी ने प्रतिबंधों में थोड़ी ढील देने की घोषणा की, जिसमें अगले सप्ताह अधिकांश दुकानें फिर से खोलना शामिल है। लेकिन जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने आगाह किया है कि अर्थव्यवस्था को दोबारा से पटरी पर लाने के लिए लापरवाही नहीं बरती जा सकती है। ऐसे में कोरोना महामारी के फैलने का डर है।