scriptअगर किसी का रंग सांवला है तो वो इस सोप डिस्पेंसर के पास न जाए, वरना हो सकता है कुछ ऐसा… | Racist soap dispenser does not recognize dark skin tones | Patrika News

अगर किसी का रंग सांवला है तो वो इस सोप डिस्पेंसर के पास न जाए, वरना हो सकता है कुछ ऐसा…

Published: Aug 18, 2017 02:25:00 pm

Submitted by:

राहुल

एक शख्स ने साबुन की मशीन पर नस्लभेदी होने का आरोप लगाया है…

Racist soap dispenser
दुनियाभर में नस्लभेद का रंग और सुर्ख हो रहा है। अमेरिका, आस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस से ले कर भारत तक कुदरती इंसानी रंगों की आपसी नफरत और गहरी होती जा रही है। वैसे तो लोगों पर नस्लीय होने, रंगभेद करने के आरोप तो सदियों से लगते आ रहे हैं। अब मशीनों को भी ऐसी संज्ञा दी जा रही है।
ऐसा ही दावा किया है एक शख्स ने जिसने साबुन की मशीन पर नस्लभेदी होने का आरोप लगाया है। दरअसल दावा करने वाले इस शख्स का रंग सांवला है और उसने दावा किया है कि यह सोप डिस्पेंसर ‘रेसिस्ट’ है और इससे डार्क स्किन वाले हाथों पर साबुन नहीं निकलता।
शख्स ने बताया कि शायद उसकी बात को लोग मजाक में लें या गंभीरता से न लें इसलिए उसने इसका सबूत भी पेश किया है। इस बात का सबूत पेश करने के लिए उसने एक ट्रिक आजमायी. इसने इस दावे को पुख्ता करने के लिए एक वीडियो बनाया।
वीडियो में शख्स ने दिखाया है कि पहले उसने अपना हाथ सोप डिस्पेंसर के नीचे रखा लेकिन साबुन नहीं निकला। अब आप सोच रहे होंगे कि हो सकता है मशीन में साबुन खत्म हो गया हो। लेकिन इस शख्स ने जब सफेद रंग का टिश्यू पेपर मशीन के नीचे रखा तो साबुन निकला।
इस आधार पर इस शख्स ने प्रूफ कर दिया कि यह मशीन भी रेसिस्ट है क्योंकि इसका मोशन सेंसर केवल गोरे रंग वाले हाथों के लिए काम करता है। अब इस शख्स का दावा कितना मजबूत या सच है इसका प्रमाण सिर्फ इसका यह वीडियो है क्योंकि इसके अलावा ऐसा दावा करने वाला कोई अन्य शख्स अब तक सामने नहीं आया है।
गौरतलब है कि दुनियाभर में लोकतंत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों की सीख देने वाले अमरीका में नस्लभेद बढ़ रहा है, वहां नागरिक अधिकारों की सुरक्षा नहीं हो पा रही है। अमरीका एक विकसित देश है, इसे महाशक्ति भी कहा जाता है। लेकिन विचारधारा में वह कितना पिछड़ा है, यह वहां की नीतियों से स्पष्ट हो गया है।

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