विश्‍व की अन्‍य खबरें

जहां सूर्यास्त नहीं होता वहां कैसे रोजा रखते हैं मुसलमान?

गर्मी में रोजा रखना ठंड के मुकाबले थोड़ा मुश्किल होता है।

May 17, 2018 / 02:22 pm

Saif Ur Rehman

नई दिल्ली: मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोगों का पवित्र महीना रमजान शुरू हो गया है। रमजान के माह में लोग पूरे एक महीने तक सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक अन्न का दाना भी नहीं खाते हैं। विश्व भर में रोजदार ऐसे ही रोजा रखते हैं। मगर जहां सूरज डूबता ही नहीं हो या फिर दिन बहुत लंबा हो ते वहां कैसे रोजा रखा जाता होगा? ये थोड़ी सोचने वाली बात है।
आर्क्टिक सर्कल में आने वाले देशों में होती है परेशानी

आर्क्टिक सर्कल में आने वाले देशों में मुस्लिम 24 घंटे सूरज की रोशनी में रहते हैं। तो ऐसे में वो कब सहरी खाएं और कब अपना रोजा खोलें?। कब इबादत करें?। नॉर्वे, लैपलैंड, फिनलैंड और स्वीडन उन देशों में से हैं, जहां सूरज बहुत कम समय के लिए अस्त होता है। फिनलैंड का रोवानेइमी शहर ऐसी ही एक जगह है जहां सर्दियों में ये शहर अंधेरे में डूबा रहता है और गर्मियों में उजाले से नहाता है। फिनलैंड में सूरज गर्मी में 55 मिनट के लिए ही छिपता है। खूबसूरत देशों में से एक फिनलैंड में गर्मी के मौसम में करीब 73 दिनों तक सूरज अपनी रोशनी बिखेरता रहता है। वहीं नॉर्वे में मई से जुलाई के बीच करीब 76 दिनों तक यहां सूरज अस्त नहीं होता है। फिनलैंड में रहने वाले एक मुस्लिम परिवार ने अपने अनुभव को मीडिया से साझा किया।उन्होंने बताया कि वे कैसे रोज़ा रखते हैं?। मौहम्मद के मुताबिक ‘रोजा सुबह के 1:35 बजे शुरू हो जाता है और फिर रात के 12:40 बजे पूरा होता है। यानी सिर्फ 55 मिनट खाने पीने के लिए मिलते हैं। पूरे 23 घंटे और 5 मिनट तक रोजा रहता है। मेरे दोस्त परिवारवाले रिश्तेदार बांग्लादेश में रहते हैं। उन्हें मेरी इस बात पर यकीन नहीं होता कि यहां रोजा 20 घंटे से ज्यादा का होता होगा”। फिनलैंड में इसका दूसरा उपाय भी है लोग बताते है कि दक्षिण फिनलैंड के सूर्य उदय और अस्त के समय का रोज़ा कर सकते हैं। वहीं नॉर्वे और आसपास के कुछ देशों में भी मुसलमानों को 20 घंटे से अधिक रोजा रखना पड़ रहा है और बचे हुए 2-3 घंटे अगले दिन के रोजे की तैयारी में लगाना पड़ते हैं। बता दें कि नॉर्व में दो लाख के आसपास मुसलमान हैं जो बीते तीन दशकों के दौरान खाड़ी देशों में जारी मारकाट, सोमालिया और पाकिस्तान,अफगानिस्तान से आए हैं।
गर्मी में होती है थोड़ी मुश्किल

रमजान की तारीख लूनर कैलेंडर से निर्धारित होती है इसलिए हर साल रमजान का पवित्र पर्व 11 दिन आगे बढ़ जाता है। लिहाजा बीते 2 साल के दौरान ही रमजान का महीना गर्मी के उस समय पर पहुंच गया है जब दिन के महज 2-3 घंटे के लिए यहां सूरज अस्त होता है। इससे पहले गर्मी में रमजान 1980 के दशक में पड़ा था लेकिन उस वक्त यहां मुसलमान जनसंख्या न के बराबर थी। अब मुस्लिम आबादी बढ़ गई है। आप को बता दें कि सभी देशों में रोजा रखने और तोड़ने का वक्त सूरज के निकलने और छिपने की वजह से अलग-अलग होता है। ये टाइमिंग एक ही देश में अलग-अलग इलाकों में भी अलग-अलग होती है, हालांकि ये फर्क कुछ मिनटों का होता है। ठंड में रमजान आसानी से कट जाते हैं लेकिन गर्मी में लोगों को परेशानी होती है।

Home / world / Miscellenous World / जहां सूर्यास्त नहीं होता वहां कैसे रोजा रखते हैं मुसलमान?

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.