यदि इस जनमत संग्रह का फैसला कैलेडोनिया के अलग होने के समर्थन में यानी लोग फ्रांस से अलग होने के पक्ष में मतदान करते हैं तो राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रोन ( President Emmanuel Macron ) के लिए एक करारी हार होगी। तो वहीं प्रशांत क्षेत्र में स्थित सबसे बड़ा आयात क्षेत्र पेरिस के हाथ से निकल जाएगा।
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इतना ही नहीं, फ्रांस के औपनिवेशिक गौरव इतिहास को भी धक्का पहुंचेगा। एक समय में फ्रांस की सत्ता कैरेबियन, अफ्रीका के बड़े हिस्से, एशिया और प्रशांत क्षेत्र तक फैली थी।
बता दें कि दक्षिण-पश्चिम प्रशांत का एक सुदूर द्वीप क्षेत्र न्यू कैलेडोनिया 1853 से फ्रांस का हिस्सा रहा है, लेकिन वहां के लोग लंबे से आजादी की मांग को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं और अब जनमत संग्रह कराया जा रहा है। हालांकि, फ्रांस से अलग होने के मुद्दे पर न्यू कैलेडोनिया में एकराय कभी नहीं बन पाई है।
2018 में भी हुआ था जनमत संग्रह
न्यू कैलेडोनिया के हाई कमिश्नर कार्यालय ने जानकारी देते हुए बताया कि रविवार देर शाम तक लगभग 80 फीसद मतदान होने का अनुमान है। इस जनमत संग्रह में मतदान के लिए न्यू कैलेडोनिया के एक लाख अस्सी हजार से अधिक स्थायी निवासी हिस्सा ले रहे हैं।
इससे पहले 2018 में भी फ्रांस से अलग होने को लेकर जनमत संग्रह कराया गया था, लेकिन न्यू कैलेडोनिया के अधिकतर लोगों ने फ्रांस से अलग होने के खिलाफ मतदान किया। इसके बाद से लगातार स्वतंत्रता की मांग करने वालों की धारणा मजबूत होती गई है और अब एक बार फिर से जनमत संग्रह कराया जा रहा है। रविवार को हुए इस जनमत संग्रह पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
मालूम हो कि फ्रांस, कनक एंड सोशलिस्ट नेशनल लिबरेशन फ्रंट और स्वतंत्रता विरोधी नेताओं के बीच 1998 में जनमत संग्रह को लेकर एक समझौता हुआ था, इसी के तहत मतदान कराया जा रहा है। अभी यहां फ्रांस का शासन है, लेकिन काफी पद तक स्वायत्तता हासिल है।