वो काम जो किसी इंसान के बस की बात नहीं है वो इस एक बहादुर सर्विस डॉग ने कर दिखाया। एक भूकंप में अपनी जान पर खेलकर इसने 7 लोगों की जान बचाई और खड़ी कर दी इंसानियत की मिसाल। दायको एक 4 साल का एक सर्विसे डॉग था और वह आपदा में फंसे लोगों की जान बचाने का काम करता था, उसने अपने कार्यकाल के दौरान कई जानें बचाई। उसमें कुछ तो करिश्माई था जो उसे इतना स्पेशल बनाता था, उसकी सूंघने की शक्ति बहुत ही बेहतरीन थी। इक्वेडोर में आई आपदा में करीबन सौ से अधिक लोग दबे पड़े थे, तब दायको ने बिना किसी आराम के दिन रात एक कर के लोगों की जान बचाई। बिना कुछ खाए पीये और आराम किए पूरा एक दिन दायको बस लोगों की तलाश करता रहा। अंत में वो चक्कर खाकर गिर गया और बेहोश हो गया दायको तब तक 7 लोगों की जान बचा चुका था। जब तक उसकी जान बचाई जाती तब तक वो दुनिया छोड़कर जा चूका था। दायको का अंतिमसंस्कार बिलकुल वैसे ही किया गया जैसा इंसानों का किया जाता है। उसे बहुत ही सम्मान से दुनिया से रवाना किया गया, दायको के मालिक का कहना है कि डिपार्टमेंट में उसकी जगह कोई नहीं ले सकता वो सबसे बेस्ट था।
वो काम जो किसी इंसान के बस की बात नहीं है वो इस एक बहादुर सर्विस डॉग ने कर दिखाया। एक भूकंप में अपनी जान पर खेलकर इसने 7 लोगों की जान बचाई और खड़ी कर दी इंसानियत की मिसाल। दायको एक 4 साल का एक सर्विसे डॉग था और वह आपदा में फंसे लोगों की जान बचाने का काम करता था, उसने अपने कार्यकाल के दौरान कई जानें बचाई। उसमें कुछ तो करिश्माई था जो उसे इतना स्पेशल बनाता था, उसकी सूंघने की शक्ति बहुत ही बेहतरीन थी। इक्वेडोर में आई आपदा में करीबन सौ से अधिक लोग दबे पड़े थे, तब दायको ने बिना किसी आराम के दिन रात एक कर के लोगों की जान बचाई। बिना कुछ खाए पीये और आराम किए पूरा एक दिन दायको बस लोगों की तलाश करता रहा। अंत में वो चक्कर खाकर गिर गया और बेहोश हो गया दायको तब तक 7 लोगों की जान बचा चुका था। जब तक उसकी जान बचाई जाती तब तक वो दुनिया छोड़कर जा चूका था। दायको का अंतिमसंस्कार बिलकुल वैसे ही किया गया जैसा इंसानों का किया जाता है। उसे बहुत ही सम्मान से दुनिया से रवाना किया गया, दायको के मालिक का कहना है कि डिपार्टमेंट में उसकी जगह कोई नहीं ले सकता वो सबसे बेस्ट था।