ऐसे में आर्कटिक और अंटार्कटिका के बर्फ पिघल रहे हैं। अब एक नया अध्ययन सामने आया है, जो बहुत ही चौंकाने और डराने वाला है। दरअसल, एक नए शोध में ये दावा किया गया है कि आर्कटिक क्षेत्र में लगातार गर्मी बढ़ रही है जिसके कारण विनाशकारी भूकंप ( Destructive Earthquakes ) आ सकते हैं।
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यह अध्ययन जर्नल जियोसाइंसेस में प्रकाशित किया गया है। इस अध्ययन में आर्कटिक क्षेत्र में अचानक तापमान में बदलाव के कारकों पर विस्तार से चर्चा की गई है। शोधपत्र में कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा बढ़ जाती है। हालांकि, इस अध्ययन में यह साफ नहीं किया गया है कि तापमान कभी-कभी अचानक क्यों बढ़ जाता है।
आर्कटिक में दो बार अचानक बढ़ी है गर्मी
बता दें कि कई दशकों से आर्कटिक पर निगरानी रखी जा रही है। जब से आर्कटिक पर नजर रखी जा रही है तब से अब तक शोधकर्ताओं ने सिर्फ दो बार पाया है कि यहां अचनाक गर्मी बढ़ गई। पहली बार 20वीं सदी के दूसरे और तीसरे दशक के बीच ऐसा देखने को मिला था, जबकि दूसरी बार 20वीं सदी के ही आठवें दशक बाद गर्मी बढ़ना शुरू हुआ जो आज तक जारी है।
इस अध्ययन में शामिल रूस के मकाऊ इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स एंड टेक्नोलॉजी के शोधकर्ता लियोपोल्ड लॉबकोवस्की ने कहा कि अचानक तापमान में बदलाव भू-आवेग (जियो-डायनामिक) कारकों को प्रभावित कर सकते हैं। विशेष रूप से विनाशकारी भूकंपों की एक श्रृंखला देखने को मिल सकता है।
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बता दें कि वातावरण में तापमान बढ़ने के कारण भूगर्भीय हलचल बढ़ जाती है। चूंकि आर्कटिक के प्रेमाफ्रोस्ट और शेल्फ जोन से मीथेन गैस का रिसाव सबसे अधिक होता है। ऐसे में जलवायु का गर्म करने में इस गैस की भूमिका र्वाधिक रहती है।
प्रेमाफ्रोस्ट ऐसे क्षेत्र को कहते हैं जो दो या उससे अधिक वर्षो तक बर्फ से ढका रहे और शेल्फ जोन का मतलब ऐसे महाद्वीपीय इलाके से है जो जल के भीतर समुद्रतल से कम ऊंचाई पर स्थिति हो। ऐसे इलाकों में पानी की गहराई कम होती है।